रायपुर, 22 मई (आईएएनएस)। मानवीय समाज में अक्सर एक उम्र में मां-बेटी के बीच छोटी-मोटी खटपट और कहासुनी की बात सामने आती रहती है। लेकिन ऐसा रिश्ता केवल मानवीय समाज में नहीं, बल्कि पशुओं के बीच भी होता है। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले मेंस्थित कानन पेंडारी वन अभ्यारण्य में बाघिन मां-बेटी के बीच एक ऐसा ही विवाद सामने आया, जिसके बाद दोनों को अलग-अलग रखने की तैयारी की जा रही है।
रायपुर, 22 मई (आईएएनएस)। मानवीय समाज में अक्सर एक उम्र में मां-बेटी के बीच छोटी-मोटी खटपट और कहासुनी की बात सामने आती रहती है। लेकिन ऐसा रिश्ता केवल मानवीय समाज में नहीं, बल्कि पशुओं के बीच भी होता है। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले मेंस्थित कानन पेंडारी वन अभ्यारण्य में बाघिन मां-बेटी के बीच एक ऐसा ही विवाद सामने आया, जिसके बाद दोनों को अलग-अलग रखने की तैयारी की जा रही है।
कानन पेंडारी के रेंजर टीआर जायसवाल का कहना है कि बाघिन चेरी और उसकी बेटी आशा के बीच पिंजरे में एकाधिकार को लेकर लड़ाई शुरू हो गई, जिसके बाद नया पिंजरा बनाने की अनुमति मांगी गई। अनुमति मिल भी गई है। नया पिंजरा बनते ही आशा और चेरी को अलग-अलग कर दिया जाएगा।
मां पूरे पिंजरे को अपना इलाका मानती है, तो बेटी चेरी भी उसे अपना इलाका मान रही है और इसी को लेकर दोनों के बीच झगड़ा है। दोनों का जब भी आमना-सामना होता है, वे एक-दूसरे की जान लेने पर उतारू हो जाती हैं।
दोनों को आमना-सामना होने से बचाने के लिए प्रबंधन एक बाघिन को खुला छोड़ता है तो दूसरे को बंद रखता है।
तीन साल पहले नागपुर के चिड़ियाघर से बाघिन चेरी को लाया गया था। कानन पेंडारी आने के बाद चेरी ने डेढ़ साल पहले आशा नाम की बाघिन को जन्म दिया। आशा ने बड़ी होने के बाद अपनी मां के खिलाफ ही क्षेत्र में कब्जे को लेकर विवाद छेड़ दिया और अब कानन पेंडारी प्रबंधन दोनों के लिए नया पिंजरा बनाने का प्रबंध कर रहा है।