मनेर/दानापुर (बिहार), 26 अगस्त (आईएएनएस)। बाढ़ की विभीषिका से जूझ रहे बिहार के लोगों खासकर महिलाओं की समस्या काफी बदतर हो गई है। घर छोड़कर राहत शिविर में रहने को मजबूर महिलाओं को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
मनेर/दानापुर (बिहार), 26 अगस्त (आईएएनएस)। बाढ़ की विभीषिका से जूझ रहे बिहार के लोगों खासकर महिलाओं की समस्या काफी बदतर हो गई है। घर छोड़कर राहत शिविर में रहने को मजबूर महिलाओं को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
महिलाओं को सबसे अधिक परेशानी नित्यकर्म में आ रही है। सामान्य परिस्थितियों में गांव में खुले में महिलाओं को कोई समस्या पेश नहीं आती, लेकिन बाढ़ के हालात में यह महिलाओं की गरिमा के लिए बड़ी समस्या बन गई है। राज्य सरकार द्वारा संचालित राहत शिविरों में भी हालात कुछ अच्छे नहीं हैं। निजता की सुरक्षा करने के लिए लोग दोबारा अपने घर की छत पर शरण लेने या किसी ऊंची जगह पर शरण लेने में गुरेज नहीं कर रहे हैं।
बाढ़ पीड़ित आरती नामक महिला ने कहा, “जब से हमने दियारा में अपने गांव को छोड़ा है, महिलाओं को पुरुषों से ज्यादा समस्याएं झेलनी पड़ रही हैं।”
हजारों अन्य लोगों की तरह वह और उनका परिवार पटना जिले के मनेर के तीन में से एक राहत शिविर में रह रहा है।
आरती का गांव मनेर से ज्यादा दूर नहीं है।
बाढ़ प्रभावित मनेर में हजारों लोगों ने अपना घर छोड़ने से इंकार कर दिया। वे अपने घर की छतों पर या किसी ऊंचे स्थान पर रह रहे हैं।
मनेर में सामाजिक कार्यकर्ता निखिल आनंद ने कहा, “बाढ़ प्रभावित परिवार में सर्वाधिक समस्या महिलाओं को झेलनी पड़ती है। ऐसे में वह शौचालय कहां जाएंगी।”
उन्होंने कहा, “गर्भवती महिलाओं के लिए तो यह समस्या और भी पहाड़ जैसी है।”
बाढ़ पीड़ितों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता महेंद्र यादव ने कहा, “बाढ़ प्रभावित महिलाओं को अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। भीड़भाड़ भरे माहौल में भी उन्हें अपनी गरिमा को बचाते हुए नित्यकर्म के लिए जगह की तलाश करनी पड़ती है। हालांकि इसके लिए कहीं जगह नहीं मिलती, क्योंकि चारों ओर पानी ही पानी है।”
उन्होंने कहा, “ऐसे संकट के काल में महिलाएं अपने शरीर में पॉलिथीन लपेट लेती हैं और पानी में खड़े-खड़े नित्यकर्म कर लेती हैं।”
यादव ने कहा, “पॉलिथीन की भी पूरी तरह आपूर्ति नहीं की जा रही है।”
जल विशेषज्ञ रंजीव ने कहा कि अधिकारी बाढ़ प्रभावित महिलाओं के लिए मेकशिफ्ट टॉयलेट्स मुहैया कराने में विफल रहे।
मनेर के निकट नयाटोला गांव की निवासी मुनिया देवी ने कहा, “हमारे जैसी गरीब महिलाएं बाढ़ के वक्त बिल्कुल बेवश हो जाती हैं, क्योंकि कोई हमारी मदद करने नहीं आता। यह हमारी किस्मत है। इस बात का अंदाजा कोई नहीं लगा सकता कि हम पर इस वक्त क्या बीत रही है।”
दो युवा बेटियों के पिता सुरेंद्र राय ने कहा, “महिलाओं के पास आंखें बंद कर इन सब को झेलने के अलावा और कोई उपाय नहीं है।”
बिहार में गंगा तथा उसकी सहायक नदियां सोन व पुनपुन पटना व पड़ोसी जिलों में खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, जिससे लाखों लोग प्रभावित हुए हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जिलाधिकारियों को प्राथमिकता के आधार पर राहत मुहैया कराने का आदेश दिया है।
बिहार में बाढ़ से अब तक 19 लोगों की जान जा चुकी है।
राज्य के बाढ़ प्रभावित इलाकों में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल तथा राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल के एक दर्जन से अधिक दलों को तैनात किया गया है।