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 बिहार : ‘ज्ञानभूमि’ से तेतरी ने दिया दूध से जरूरी ‘इज्जत’ का संदेश! | dharmpath.com

Sunday , 4 May 2025

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बिहार : ‘ज्ञानभूमि’ से तेतरी ने दिया दूध से जरूरी ‘इज्जत’ का संदेश!

गया, 20 अप्रैल (आईएएनएस)। बिहार के गया जिले की पहचान यूं तो महात्मा बुद्ध के ज्ञान प्राप्त करने के कारण ‘ज्ञानस्थली’ के रूप में होती है, लेकिन जिले के बाराचट्टी प्रखंड के तेवारीचक गांव की रहने वाली तेतरी देवी अब ‘दूध से जरूरी इज्जत का’ संदेश देकर चर्चा में है। दरअसल, आर्थिक रूप से कमजोर तेतरी ने अपनी दुधारू (दूध देने वाली) गाय को बेचकर उससे मिले पैसे से शौचालय बनाने का काम किया है।

गया, 20 अप्रैल (आईएएनएस)। बिहार के गया जिले की पहचान यूं तो महात्मा बुद्ध के ज्ञान प्राप्त करने के कारण ‘ज्ञानस्थली’ के रूप में होती है, लेकिन जिले के बाराचट्टी प्रखंड के तेवारीचक गांव की रहने वाली तेतरी देवी अब ‘दूध से जरूरी इज्जत का’ संदेश देकर चर्चा में है। दरअसल, आर्थिक रूप से कमजोर तेतरी ने अपनी दुधारू (दूध देने वाली) गाय को बेचकर उससे मिले पैसे से शौचालय बनाने का काम किया है।

पिछले दिनों बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के जिला मुख्यालय मोतिहारी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से स्वच्छता का संदेश पूरे देश को दिया था। यह संदेश अब कोने-कोने में पहुंचने लगा है। गया जिले में बाराचट्टी प्रखंड की सरमां पंचायत के तेवारीचक गांव की रहने वाली 70 वर्षीय तेतरी देवी की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। इंदिरा आवास योजना से बने घर में वह पति और बेटे-बहू के साथ रह रही है।

बेटे की शादी की तो घर में मैट्रिक पास बहू भी आ गई, लेकिन तेतरी को घर में शौचालय नहीं रहने का मलाल था। घर में शौचालय बनवाने की इच्छा तो तेतरी और नई-नवेली बहू की भी थी, लेकिन इस काम में पैसा आड़े आ रहा था।

तेतरी बताती है कि शौचालय बनाने के लिए बहू ने अपने जेवर भी बेचने को दे थे, लेकिन उसने इसे बहू की अमानत बताकर बेचने से मना कर दिया था। इसके बाद घर की गाय बेचने का फैसला किया गया।

वह बताती है कि गाय को बेचने के लिए उसने 14 हजार रुपये में सौदा किया और उसी पैसे से शौचालय के लिए ईंट, बालू और सीमेंट खरीदकर पूरा परिवार घर में शौचालय निर्माण में जुटा है।

तेतरी कहती है, “गाय चली गई तो अब पति को दूध नहीं दे पाती हूं। गाय तो फिर आ जाएगी, शौचालय जरूरी था। जागरूकता अभियान वाले भी बोलते थे तो अच्छा नहीं लगता था।”

तेतरी को हालांकि इसका मलाल जरूर है कि उसके पति अक्सर बीमार रहते हैं, गाय रहने से उन्हें दूध मिल जाता था। अब दूसरी गाय लेने लायक पैसा कब जुटेगा, पता नहीं।

तेतरी के इस फैसले का न केवल क्षेत्र के लोग, बल्कि सरकारी अधिकारी भी प्रशंसा कर रहे हैं। प्रखंड कार्यालय ने तेतरी को सम्मानित करने का निर्णय लिया है।

गया के बाराचट्टी के प्रखंड विकास पदाधिकारी प्रणव कुमार गिरि कहते हैं, “तेतरी देवी एक उदाहरण हैं। उनकी सोच अनुकरणीय है। तेतरी आज समाज को ही नहीं, ऐसे लोगों को भी संदेश दे रही हैं, जो पैसे की कमी का रोना रोकर घर में शौचालय नहीं बनवाते।”

उन्होंने कहा कि गया हमेशा से ‘ज्ञानभूमि’ के रूप में चर्चित है, तेतरी का संदेश भी इस क्षेत्र में स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक करेगा।

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