नई दिल्ली, 8 अप्रैल (आईएएनएस)। बुजुर्गो, अशक्तों और बीमार लोगों के अधिकारों की सुरक्षा को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से पूछा कि इनके अधिकार क्यों नहीं लागू हुए।
पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी.एस. ठाकुर, न्यायमूर्ति आर.भानुमति और न्यायमूर्ति उदय उमेश लाल की पीठ ने केंद्र सरकार को नाटिस जारी किया।
याचिकाकर्ता ने अदालत से कहा कि बुजुर्गो, अशक्तों और बीमार लोगों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए छह कानून बने हुए हैं, लेकिन इनमें से किसी का भी अनुपालन नहीं हो रहा है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि इस संदर्भ में विस्तृत मानक तय करने के संबंध में पहले केंद्र सरकार का जवाब सुनेंगे। इसके बाद राज्यों की बारी आएगी। अदालत ने गैर सरकारी संगठन हेल्पेज इंडिया को इस मामले में न्यायमित्र की भूमिका निभाने को कहा।
अदालत ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्या बुजुर्गो, अशक्तों और बीमार लोगों की सुरक्षा के लिए कोई योजना है? अगर नहीं है तो वह इस तरह की कोई योजना बनाने का संकेत दे।
एनएएलएसए एक सांविधिक निकाय है, जो पात्रों को मुफ्त विधिक सेवा उपलब्ध कराने और मामलों के त्वरित निपटारे के लिए लोक अदालतों का आयोजन करता है।
याचिका में प्रत्येक जिले में वृद्धाश्रम खोलने की मांग करते हुए अश्विनी कुमार ने अदालत से कहा कि मौजूदा वृद्धाश्रम योजना के तहत बहुत कम लोगों को ही लाभ मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि इस योजना के लिए बजटीय आवंटन भी कम हो रहा है। कुमार ने कहा कि इस क्षेत्र में कॉरपोरेट जगत की भागीदारी शायद ही दिख रही है।