नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (आईएएनएस)। बांग्लादेश बॉर्डर गार्डस (बीजीबी) के प्रमुख ने कहा है कि बांग्लादेश भारतीय पशुओं की तस्करी बंद करना चाहता है, क्योंकि इसके कारण भारत-बांग्लादेश सीमा पर काफी हत्याएं होती हैं।
नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (आईएएनएस)। बांग्लादेश बॉर्डर गार्डस (बीजीबी) के प्रमुख ने कहा है कि बांग्लादेश भारतीय पशुओं की तस्करी बंद करना चाहता है, क्योंकि इसके कारण भारत-बांग्लादेश सीमा पर काफी हत्याएं होती हैं।
बांग्लादेश बॉर्डर गार्डस के महानिदेशक मेजर जनरल अजीज अहमद ने यहां एक साक्षात्कार में कहा, “बांग्लादेश नहीं चाहता है कि तस्करी के जरिए भारतीय पशु हमारे देश में लाए जाएं।”
अहमद ने आईएएनएस से कहा, “हम पशु तस्करी से मुक्ति पाना चाहते हैं क्योंकि इसकी वजह से सीमा पर काफी हत्याएं होती हैं। बीजीबी और भारतीय बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) दोनों इसे रोकना चाहते हैं।”
अहमद भारत और बांग्लादेश के बीच 43वीं महानिदेशक स्तर की सीमा वार्ता में भाग लेने यहां आए हुए थे।
बीजीबी के प्रमुख ने कहा कि पशु तस्करी की योजना उन लोगों द्वारा बनाई जाती है जो गरीबों को यह अपराध करने के लिए पैसे का लालच देते हैं।
उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में खुली सीमा पर होने वाली कुल मौतों में 92-95 प्रतिशत पशु तस्करों और सीमा सुरक्षा बल के बीच झड़पों के दौरान होती हैं।
भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार, साल 2015 में जनवरी से इस साल 4 अक्टूबर के बीच भारत से बांग्लादेश के लिए पशुओं की तस्करी रोकने के क्रम में सीमा सुरक्षा बल के तीन जवान शहीद हुए थे।
इस साल 25 तस्कर मारे गए हैं जो सभी बांग्लादेशी थे।
अहमद ने उन जमीनी समस्याओं का उल्लेख किया जिसके कारण पशुओं की तस्करी होती लगातार होती रहती है।
अहमद ने आईएएनएस से कहा, “भारत के साथ हमारी सीमा के केवल 79 प्रतिशत भाग पर ही कंटीले तार लगे हुए हैं। शेष भाग नदी क्षेत्र हैं, जहां कोई घेराबंदी नहीं है। इसलिए पशुओं की तस्करी रोकना बहुत कठिन है।”
जब उनसे पूछा गया कि सीमा पर बाड़ लगे होने और बॉर्डर गार्डस की तैनाती के बावजूद कैसे पशुओं की तस्करी होती है, अहमद ने कहा, “कई नदियों के जरिए जानवरों के अलग-अलग समूहों में तस्करी होती है। बांग्लादेश और भारत की ये साझी नदियां हैं, जहां कोई बाड़ नहीं लगी है। इसलिए इसे रोकना काफी कठिन है।”
उन्होंने कहा, “बीएसएफ और बीजीबी इन इलाकों में नियमित रूप से गश्त लगाते हैं, लेकिन यह अब भी हमारी कमजोर कड़ी है। हिंसा तब होती है जब तस्कर, बीएसएफ से टक्कर लेते हैं।”
अहमद ने कहा, “पशु तस्करी एक बड़ा मुद्दा है, लेकिन हमारे लोगों की हत्या काफी अधिक गंभीर मसला है। बीएसएफ और बीजीबी के बीच अच्छे संबंध होने के बावजूद इस तरह की घटनाओं से मतभेद उत्पन्न होते हैं।”
उन्होंने कहा कि हाल के वर्षो में हत्याएं कम हुई हैं, लेकिन संख्या अब भी काफी अधिक है।
पशु तस्कर के वेश में जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश जैसे आतंकी संगठनों द्वारा खुली सीमा का लाभ उठाने के बारे में पूछने पर बीजीबी के प्रमुख ने कहा, “इस तरह की कोई घटना नहीं देखी गई है।”
उन्होंने कहा सीमा मुद्दों के हल के लिए बीएसएफ और बीजीबी आपसी समझ, विश्वास और भरोसे के साथ काम कर रहे हैं।