इस्लामाबाद, 13 अप्रैल (आईएएनएस)। भारत ने पाकिस्तान की जेल में मृत कथित भारतीय जासूस कृपाल सिंह का शव मांगा है, ताकि पंजाब के गुरुदासपुर स्थित उसके गांव में उसका अंतिम संस्कार किया जा सके। सिंह का पिछले सोमवार पाकिस्तान की एक जेल में मौत हो गई थी।
लाहौर में पुलिस उपाधीक्षक इकबाल शाह ने कहा, “हम लोग पोस्टमार्टम की इजाजत मिलने का इंतजार कर रहे हैं। इसके बाद हम कृपाल सिंह का शव सौंप देंगे।”
लाहौर अस्पताल के सूत्रों ने कहा कि भारतीय उच्चायोग मांग कर रहा है कि मौत का कारण लिखित में दिया जाए। इसके बाद ही उच्चायोग अंत्यपरीक्षण को राजी होगा।
भारतीय नागरिक कृपाल सिंह (54) की सोमवार को हृदयगति रुक जाने से पाकिस्तान की कोट लखपत जेल के अस्पताल में मौत हो गई थी। उसका शव जिन्ना अस्पताल के मुर्दाघर में रखा हुआ है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने बुधवार को ट्वीट किया, “इस्लामाबाद में हमारे कार्यवाहक उच्चायुक्त ने पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय में दक्षिण एशिया के डीजी से मुलाकात की और उनसे मृत भारतीय कैदी के शव को जल्द से जल्द स्वदेश भेजने का आग्रह किया।”
स्वरूप ने कहा, “प्रभारी उच्चायुक्त मौत के कारणों की आधिकारिक जानकारी भी मांगेंगे।”
पाकिस्तान की कोट लखपत जेल के अधिकारियों के मुताबिक, कृपाल सिंह की तबीयत बिगड़ने के बाद उसे सोमवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
कृपाल सिंह पर वर्ष 1991 में फैसलाबाद रेलवे स्टेशन पर हुए बम हमले में शामिल होने का आरोप था और पाकिस्तान में जासूसी तथा आतंकवाद के लिए उन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी।
कृपाल सिंह की बहन ने भाई की मौत के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराते हुए मंगलवार को भारत और पाकिस्तान के बीच अटारी-बाघा पर प्रदर्शन किया था।
प्रदर्शन के दौरान कृपाल सिंह की बहन जागीर कौर ने कहा, “मेरे भाई कृपाल को एक अन्य भारतीय कैदी सरबजीत सिंह की ही तरह मार दिया गया। उसकी मौत के लिए पाकिस्तानी जेल प्रशासन जिम्मेदार है।”
इसके पहले 2013 में पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में कैद सजायाफ्ता भारतीय कैदी सरबजीत पर जेल के अन्य कैदियों ने हमला कर दिया था, जिसके बाद अस्पताल में उनकी मौत हो गई थी।
अटारी-बाघा सीमा पर जागीर कौर द्वारा किए गए प्रदर्शन में सरबजीत की बड़ी बहन दलबीर कौर के अतिरिक्त कई अन्य भी शामिल थे।
उनके परिजनों ने कृपाल सिंह के शव को पंजाब के गुरदासपुर जिले में उनके पैतृक गांव ले जाने की मांग की है, जहां वे उनका अंतिम संस्कार करना चाहते हैं।