इस्लामाबाद, 14 अक्टूबर (आईएएनएस)। पीकिस्तान के एक प्रमुख अखबार ने कहा है कि भारत में ‘दक्षिण पंथ के उदय’ का प्रभाव क्षेत्रीय स्तर पर हानिकारक हो सकता है।
अखगार ने चेताया है कि खतरे की घंटी बज रही है और भारत को बहुलतावाद और विविधता के लिए अपनी प्रतिबद्धता स्पष्ट करने की जरूरत है।
‘डॉन’ ने ‘इंटॉलरेंस इन इंडिया’ शीर्षक वाले एक संपादकीय में कहा है, “भारत में आजादी खतरे में है और देश में सही सोच रखने वाले नागरिक दक्षिणपंथी हिंसा और दमन की लहर के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।”
अखबार ने कहा है, “इस चेतावनी का एक वास्तविक कारण है। इसमें कुछ पाकिस्तान से संबंधित है।”
अखबार ने मुंबई में हाल ही में पाकिस्तानी गजल गायक गुलाम अली के कार्यक्रम को रद्द किए जाने और पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी की किताब के विमोचन के विरोध में वरिष्ठ पत्रकार सुधींद्र कुलकर्णी के चेहरे पर स्याही पोते जाने के मामलों का हवाला देते हुए यह बात कही।
अखबार ने लिखा है कि दिल्ली में गोमांस खाने की अफवाह पर एक मुसलमान की हत्या के मामले ने न केवल भारत को, बल्कि पूरे विश्व को हैरान कर दिया।
संपादकीय में यह भी कहा गया है कि धार्मिक तौर पर प्रेरित उग्रवाद में वृद्धि और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संघीय सरकार के उदासीन रवैये से भारत का जीवंत नागरिक समाज पीछे की ओर जा रहा है।
समाज में बढ़ती असहिष्णुता एवं सांप्रदायिकता के विरोध में 40 से अधिक बुद्धिजीवियों और लेखकों ने साहित्यिक पुरस्कार लौटा दिए हैं।
अखबार ने लिखा है, “पाकिस्तानी अनुभव ने इस बात को स्पष्ट कर दिया है कि असहिष्णुता और चरमपंथ राष्ट्रीय स्तर पर होता है, तो क्षेत्र में अस्थिर प्रभाव साफ दिखने लगते हैं। भारत के मामले में दक्षिमपंथी उभार का प्रभाव अत्यंत हानिकारक होगा।”