इंफाल, 12 जून (आईएएनएस)। आपने सड़क किनारे स्टॉल लगा सब्जी और फल-फूल बेचने वालों को देखा होगा, लेकिन कभी पेट्रोल-डीजल बिकते देखा है? पैंतालीस वर्षीया बीनासाखी इन दिनों इसी काम में मसरूफ हैं। राज्य में आर्थिक नाकेंबदी के बीच वह इनकी बिक्री कर कमाई कर रही हैं। वह व उन जैसी अन्य गृहणियां राज्य की बारहमासी हड़ताल या नाकेबंदी के बीच ऐसा करती हैं।
इंफाल, 12 जून (आईएएनएस)। आपने सड़क किनारे स्टॉल लगा सब्जी और फल-फूल बेचने वालों को देखा होगा, लेकिन कभी पेट्रोल-डीजल बिकते देखा है? पैंतालीस वर्षीया बीनासाखी इन दिनों इसी काम में मसरूफ हैं। राज्य में आर्थिक नाकेंबदी के बीच वह इनकी बिक्री कर कमाई कर रही हैं। वह व उन जैसी अन्य गृहणियां राज्य की बारहमासी हड़ताल या नाकेबंदी के बीच ऐसा करती हैं।
एक मोटरसाइकिल सवार को पेट्रोल बेचते हुए बीनासाखी ने आईएएनएस को बताया, “जब कभी हड़ताल या नाकाबंदी होती है, मैं प्रतिदिन करीब 1,000 रुपये कमा लेती हूं।”
मणिपुर के लोगों के लिए आर्थिक नाकेबंदी या हड़ताल एक बारहमासी अभिशाप है, जो इसके दुष्प्रभावों को झेलते हैं। इस बार जनजातीय समूहों की संयुक्त समिति ने 10 दिवसीय बंद बुलाया है, जिसके चलते सामान की कीमतें एकाएक आसमान छूने लगी हैं। खरीदारों में 10 दिवसीय बंद को सोचकर खलबली मची है। पेट्रोल व ईंधन पंप बंद होने के चलते मौजूदा हालात में पेट्रोल व डीजल बेशकीमती उपभोक्ता वस्तु हो गए हैं।
अब सवाल यह उठता है कि जब पेट्रोल पंप बंद हैं, तो बीनासाखी को पेट्रोल कहां से मिला?
यह यहां एक खुला राज है। मणिपुर में जब कभी बंद या हड़ताल होती है, तो बीनासाखी जैसी सैकड़ों महिलाएं कुछ तय पेट्रोल-डीजल पंप के कर्मियों से मिलती हैं, जो 10-15 रुपये प्रति लीटर की अतिरिक्त कीमत पर उन्हें आसानी पेट्रोल व डीजल उपलब्ध करा देते हैं। ये महिलाएं ईंधन को बोतल व मर्तबान में इकट्ठा करती हैं और उसे 10 या 15 रुपये की अतिरिक्त कीमत पर बेचने के अपने हुनर को दिखाने निकल पड़ती हैं। यह कीमत मांग पर निर्भर करती है।
बीनासाखी और उन जैसी अन्य गृहणियों ने आईएएनएस बताया कि कैसे बंद व हड़ताल के बावजूद अपनी रोजी-रोटी का जुगाड़ कर लेती हैं। सड़क किनारे पेट्रोल-डीजल बेचने वाली नंगशीबी (40) ने कहा, “हम सड़क किनारे छाते तले पेट्रोल व डीजल बेचती हैं, तब भी पुलिस हमें तंग नहीं करती।”
उसने कहा, “हम मर्तबान में आग लगने की सूरत में भागते हैं, वर्ना तो यहां सब ठीक है। कोई दिक्कत नहीं है।”
स्थानीय लोग जानते हैं कि ये उद्यमी महिलाएं वाहनों को ऐसे मुश्किल हालात में सरपट चलाते रहने में मदद ही कर रही हैं, वर्ना तो राज्य में जिंदगी कहीं अधिक दयनीय हो जाएगी, जो अक्सर हड़ताल व बंद के चलते बाकी देश से कट सा जाता है।
अगर हड़ताल या बंद महीनों तक जारी रहें तो?
जवाब में एक स्थानीय निवासी ने कहा, “ऐसी परिस्थिति में परिवारों के पुरुष इंफाल से करीब 110 किलोमीटर दूर म्यांमार से निम्न श्रेणी का ईंधन लाते हैं। वे पेट्रोल व डीजल जुटाने के लिए वहां कई बोतलें साथ ले जाते हैं।”