भोपाल, 21 सितंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश सरकार ने भले ही जबलपुर उच्च न्यायालय को भरोसा दिलाया हो कि बाघों की सुरक्षा के लिए विशेष बाघ सुरक्षा बल (एसटीपीएफ ) का गठन किया जाएगा, मगर अब तक उस पर अमल नहीं हो पाया है। इसके साथ ही गुजरात के गिर वन से राज्य में शेर नहीं आ पाए हैं।
पर्यावरण कार्य समूह ‘प्रयत्न’ के सचिव अजय शंकर दुबे ने सोमवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर राज्य में वन्य प्राणियों से जुड़े लंबित पड़े मसलों के निराकरण की दिशा में पहल की उम्मीद जताई है।
दुबे ने अपने पत्र में कहा है कि मंगलवार को मध्य प्रदेश वन्य प्राणी बोर्ड की बैठक होने जा रही है, यह एक ऐसा अवसर है जब वन्य प्राणियों से संबंधित मसलों पर फैसले हो सकते हैं। पत्र में उन्होंने याद दिलाया है कि सर्वोच्च न्यायालय ने 15 अप्रैल, 2013 में गुजरात के गिर वन से एशियाई शेरों को पालपुर कूनों में पुनस्र्थापन के लिए छह माह का समय दिया था, जिस पर अमल नहीं हुआ। लिहाजा, राज्य सरकार को इस दिशा में पहल करना चाहिए।
उन्होंने पत्र में आगे लिखा है कि राज्य सरकार ने इसी साल फरवरी में उच्च न्यायालय को भरोसा दिलाया था कि राज्य में बाघों का शिकार रोकने के लिए विशेष बाघ सुरक्षा बल गठित किया जाएगा, मगर अब तक यह बल गठित नहीं हो पाया है। इसके साथ ही भोपाल के राष्ट्रीय उद्यान वन विहार से पुलिस व विशेष सशस्त्र बल की फायरिंग रेंज को भी हटाने की मांग की गई है।
उन्होंने इस पत्र में ओंकारेश्वर राष्ट्रीय उद्यान को अनुसूचित करने, वन्य प्राणी चिकित्सकों का काडर बनाने की मांग की है। साथ ही बोर्ड के सदस्य पी. लाड़ के त्यागपत्र देने पर बोर्ड के पुनर्गठन की मांग की है।