भोपाल, 30 अक्टूबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की आबादी बस्ती से पकड़े गए बाघ का राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण द्वारा तय दिशा निर्देशों (प्रोटोकॉल) का उल्लंघन कर ‘ट्रांस लोकेशन’ किए जाने का वन विभाग पर आरोप लगा है। वहीं वन विभाग तय निर्देशों के पालन की बात कह रहा है।
वन विभाग पर आरोप लगाते हुए बाघ संरक्षण अभियान के कार्यकर्ता अजय दुबे ने प्राधिकरण को शुक्रवार को पत्र लिखकर शिकायत की है, साथ ही राज्य के वन विभाग की बाघ ट्रांस लोकेशन (एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना) में बरती गई लापरवाही की जांच की मांग की है।
दुबे ने शुक्रवार को संवाददाताओं से चर्चा करते हुए कहा कि बाघ को गुरुवार की दोपहर को नवी बाग इलाके से पकड़ा गया था। उसे भोपाल के राष्ट्रीय उद्यान वन विहार ले जाया गया और देर शाम को वन विभाग ने बाघ को आनन-फानन में राष्ट्रीय उद्यान पन्ना भेज दिया। पन्ना की भोपाल से दूरी 300 किलोमीटर है, बाघ को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजे जाने के लिए प्रोटोकॉल है, मगर उसका पालन नहीं किया गया।
प्राधिकरण को लिखे गए पत्र की प्रति संवाददाताओं को देते हुए दुबे ने कहा कि बाघ को बेहोशी और तनाव की स्थिति में 300 किलोमीटर दूर भेजना जोखिम भरा है, वन विभाग ने इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाई यह समझ से परे है। इस बात की जांच की जाना चाहिए।
सूचना के अधिकार के तहत पिछले दिनों हासिल की गई जानकारी का ब्योरा देते हुए दुबे ने बताया कि पन्ना के राष्ट्रीय उद्यान की एक बाघिन के मस्तिष्क में केनाइन डिस्टेम्पर वायरस (केडीवी) का संक्रमण है, लिहाजा ऐसे उद्यान में एक स्वस्थ बाघ को भेजना उसकी जिंदगी को खतरे में डालने से कम नहीं है।
प्राधिकरण को लिखे गए पत्र में दुबे ने कहा कि भोपाल वन मंडल के केरवा, चीचली, भानपुर क्षेत्र में लगभग 10 बाघों का विचरण है, इस क्षेत्र में कुछ रसूखदार लोगों ने शैक्षणिक, व्यावसायिक संस्थान और फार्म हाउस आदि बना लिए है। इसके चलते बाघ और मानव में संघर्ष की संभावना बनी हुई है।
वहीं मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) रवि श्रीवास्तव ने आईएएनएस से कहा कि उनकी ओर से प्राधिकरण से एक बाघ को पन्ना भेजने के लिए पहले ही अनुमति मांग ली गई थी, क्योंकि पन्ना में एक नर बाघ की जरूरत है, उसी के मद्देनजर इस बाघ को पन्ना भेजा गया है।
श्रीवास्तव ने बताया कि बाघ के ट्रांस लोकेशन के लिए कुछ गोपनीयता बरतनी होती है, उसी के चलते यह किसी को नहीं बताया गया कि बाघ को कहां भेजा जा रहा है, जबकि वहां की परिस्थितियों का अध्ययन पहले ही किया जा चुका था।