जबलपुर, 7 अप्रैल (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में लोकायुक्त संगठन में पुलिस बल की कमी के मामले में न्यायाधीश राजेंद्र मेनन व एस.सी. गंगेले की युगलपीठ ने गृह सचिव से जवाब मांगा है कि कितने समय में लोकायुक्त विभाग को प्र्याप्त बल उपलब्ध करवा दिया जाएगा। याचिका पर युगलपीठ ने अगली सुनवाई 23 अप्रैल को निर्धारित की है।
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पी.जी. नाजपांडे की तरफ से 11 मंत्री, भारतीय प्रशासनिक सेवा और भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी के खिलाफ लोकायुक्त जांच वर्षो से लंबित होने को चुनौती देते हुए याचिका दायर की गई थी। याचिका की सुनवाई के दौरान लोकायुक्त विभाग की तरफ से पेश किए गए जवाब में बल की कमी को मुख्य कारण बताया था।
उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को लोकायुक्त विभाग में मांग अनुसार बल उपलब्ध कराने आदेशित किया था। मंगलवार को याचिका पर हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से युगलपीठ को बताया गया कि लोकायुक्त विभाग में अभी तक डीएसपी के 11 पद रिक्त हैं। इसके अलावा रिक्त आरक्षक पदों की संख्या सात से बढ़कर नौ हो गई है। सरकार ने कोर्ट मुहर्र की नियुक्ति से स्पष्ट इनकार कर दिया है। पृथक बल भी लोकायुक्त को अभी तक उपलब्ध नहीं करवाया गया है।
एक अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित खबर का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि लोकायुक्त विभाग के गठन से लेकर अभी तक विगत 23 वर्षो में मुख्यमंत्री व मंत्री के खिलाफ 520 शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जिनमें से 181 शिकायतों को जांच के दायरे में लिया और महज 21 मामलों में रिपोर्ट पेश की।
याचिकाकर्ता ने युगलपीठ से प्रकाशित खबर की प्रति भी याचिका के साथ संलग्न करने की अनुमति मांगी। युगलपीठ ने याचिकाकर्ता को अनुमति प्रदान करते हुए ये निर्देश जारी किए।