अनिल सिंह
भगवान् विष्णु ने राक्षसों हिरण्यकश्यप और हिरण्यकश को के अत्याचारों से धरती को मुक्त कराने के लिए वराह का अवतार धारण किया था और पाताळ में जाकर उनका वध किया.सनातन में वराह देवता का महत्वपूर्ण स्थान है.गन्दगी यदि साफ़ करनी है तो किसी न किसी को वराह का रूप धारण करना ही पड़ेगा तभी समाज स्वच्छ रहेगा.
यदि हम प्रकृति को देखें तो सफाई के लिए वराह(सूअर) का जन्म होता ही है नहीं तो मनुष्य जन्य गन्दगी से जीना दूभर हो जाए.भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी ने इसका महत्व समझा और सांकेतिक रूप में महात्मा गाँधी के जन्म दिवस पर यह अभियान छेड़ा .इस अभियान का सन्देश बहुत गहन है यदि इसे समझा जाय तो लगभग सभी चुनाव अपनी पूर्णता पर हैं अब भारत में जल्द कोई चुनाव आना नहीं है.मोदी के संकेतों को समझा जाए तो वे पहले सफाई अपने घर से करेंगे यानी भाजपा जिसे वे अपना घर कहते हैं उसे वे साफ़ करेंगे.देश की सफाई तो मात्र संकेत है.
जब मैं मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान नेताओं के संपर्क में रहता था तब कभी-कभी एक नेता जो अभी राज्य सभा सदस्य हैं तब चुनाव प्रचार के प्रभारी हुआ करते थे अनिल माधव दवे कहते नजर आ जाते थे की आने दो दाढ़ी वाले बाबा को(मोदी को) सबसे पहले सफाई भाजपा के अन्दर करेगा तब मध्यप्रदेश में मोदी को महत्व नहीं दिया जा रहा था लेकिन लोकसभा चुनाव में मोदी की बम्पर जीत ने और उसके बाद सफाई अभियान की इस मुहीम ने अनिल माधव दवे की उस समय कही गयी बातों को चरितार्थ होना दिखा रहा है.
नरेन्द्र मोदी पहले सफाई घर के अन्दर से शुरू करेंगे फिर वे बाहर का रंग-रोगन शुरू करेंगे और यह सब चुनावों के बाद दिखना शुरू हो जाएगा.दरअसल इस संकेत के राजनीतिक मायने अधिक हैं .समाज में यदि स्वच्छता की बात लें तो हमारे बड़े हमेश यही सिखाते आये हैं की साफ़ रहो…..घर की नानी सुबह जल्दी उठ कर झाड़ू की आवाज से पूरे घर को उठा देती थी पक्षी भी अपने परों की साज-संवार करते सुबह-सुबह दिख जाते है जन सनातन में इतना अधिक महत्व सफाई को दिया गया है तब क्या आवश्यकता थी मोदी को प्रधानमंत्री बनने के बाद इस नारे को देशव्यापी बनाने की इसका राजनीतिक आंकलन राजनीतिक पंडित कर रहे हैं और इसका परिणाम चुनावों के ख़त्म होते ही नजर आने लगेगा.