लंदन, 11 अक्टूबर (आईएएनएस)। रक्तचाप नियंत्रण करने के लिए दवाओं का सेवन करने वाले सावधान हो जाएं, क्योंकि आप जिन दवाओं का सेवन करते हैं, उससे अवसाद या बाइपोलर डिसॉर्डर का खतरा है। भारतीय मूल के एक शोधकर्ता ने एक अध्ययन में यह बात कही है।
ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो में प्रोफेसर संदोष पद्मनाभन ने कहा, “उच्च रक्तचाप नियंत्रित करने के लिए दवा देते वक्त चिकित्सकों को मरीज की मानसिक स्थिति पर ध्यान देना चाहिए। अगर दवा से उनके मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ रहा है, तो इसपर उन्हें ध्यान देना चाहिए।”
अपने अध्ययन में शोधकर्ताओं ने अवसाद को लेकर चार उच्च रक्तचाप रोधी दवाओं के बीच तुलना की।
स्कॉटिश हॉस्पिटल्स के दो बड़े सेकंडरी केयर में उन्होंने 525,046 मरीजों (40-80 आयुवर्ग) के आंकड़ों का अध्ययन किया।
शोधकर्ताओं ने उच्च रक्तचाप के 144,066 मरीजों का चयन किया, जो एंजियोटेंसिन एंटागोनिस्ट्स, बीटा ब्लॉकर, कैल्सियम चैनल ब्लॉकर या थियाजाइड डाइयूरेटिक्स का सेवन कर रहे थे।
उन्होंने उनकी तुलना उच्च रक्तचाप के 111,936 मरीजों से की, जो इनमें से कोई दवा नहीं ले रहे थे।
उच्च रक्ताचाप नियंत्रण के लिए 90 दिनों तक दवा देने के बाद अध्ययन अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की पत्रिका ‘हाइपरटेंशन’ में प्रकाशित किया गया।
अध्ययन के मुताबिक, इनमें से 299 लोगों को अवसाद की शिकायत हुई, जिसके बाद उन्होंने अस्पताल से संपर्क किया।