राजभवन में पिछले सप्ताह शपथ ग्रहण समारोह के दौरान राज्यपाल ने राष्ट्रगान बीच में रुकवा दी थी और वह ‘एकता की शपथ’ दिलाने लगे थे। देश के प्रथम पूर्व उपप्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर ‘एकता की शपथ’ दिलाई गई थी।
घटना के तत्काल बाद राजभवन ने इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण जारी किया था कि राज्यपाल को यह मालूम नहीं था कि राष्ट्रगान शुरू हो चुका है। इस मामले में अधिवक्ता विनोद कुमार ने याचिका दायर की थी।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी.वाई. चन्द्रचूड़ एवं न्यायमूर्ति एस.एन. शुक्ला की खंडपीठ ने इस मामले में राज्यपाल के प्रमुख सचिव को पक्ष बनाए जाने को असंवैधानिक तथा अनावश्यक मानते हुए मामले को अंतिम रूप से निस्तारित कर दिया।
न्यायालय ने याचिकाकर्ता को कोई अनुतोष देने से मना कर दिया है तथा इस बात की छूट दी है कि याचिकाकर्ता चाहे तो राष्ट्रगान के गायन आदि के संबंध में दिशा-निर्देश तय करने के लिए अपना प्रत्यावेदन राज्य सरकार को दे सकता है।