काबुल, 26 दिसम्बर (आईएएनएस)। तालिबान ने अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट (आईएस) के प्रसार को रोकने के लिए रूस के साथ किसी भी तरह का समझौता या सूचनाओं के आदान-प्रदान से आधिकारिक तौर पर इंकार किया है।
समूह ने इस दावे को यह कहकर खारिज कर दिया कि उन्हें अफगानिस्तान में आईएस के खात्मे या उससे लड़ने के लिए किसी के समर्थन की जरूरत नहीं है।
तालिबान के प्रवक्ता ने अल जजीरा से कहा, “हम बातचीत कर रहे हैं, लेकिन आईएस से लड़ाई के बारे में नहीं। हम अपने देश से विदेशी ताकतों को बाहर रखना चाहते हैं, यही कारण है कि इस वक्त हम बातचीत कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “वे (आईएस के लड़ाके) मुट्ठी भर हैं और केवल नांगरहार (प्रांत) तक सीमित हैं। वह कोई बड़ा या ताकतवर समूह नहीं, जिससे हम भयभीत हों।”
रूस के विदेश मंत्रालय के अधिकारी व अफगानिस्तान में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के विशेष प्रतिनिधि जमीर काबुलोव ने इस सप्ताह के प्रारंभ में कहा था कि तालिबान व हमारे उद्देश्य आपस में मेल खाते हैं।
उन्होंने रूसी मीडिया से कहा, “मैं पहले ही यह बात कह चुका हूं कि सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए हमारे और तालिबान के माध्यम हैं।”
उन्होंने कहा, “अफगानिस्तान तालिबान तथा पाकिस्तान तालिबान दोनों अल-बगदादी को खलीफा के रूप में नकार चुके हैं और उन्होंने आईएस को भी तवज्जो नहीं दी है।”
इससे पहले, तालिबान से अलग हुए एक गुट ने अफगानिस्तान में आईएस के खिलाफ लड़ाई में रूस-तालिबान साझा हितों की निंदा की थी।
समूह के प्रवक्ता ने टेलीविजन चैनल से कहा कि रूस के साथ साझेदारी देश के समस्त मुसलमानों के खिलाफ जंग है।
उन्होंने कहा, “अफगानिस्तान में आईएस का कोई अस्तित्व नहीं है, बल्कि पाकिस्तान में मुट्ठी भर लोग हैं, जो आईएस के वफादार हैं। उस छोटे से समूह से लड़ने के लिए रूस या किसी और के समर्थन की जरूरत नहीं है। यह हमारे पूर्व नेता मुल्ला उमर की इच्छा के बिल्कुल विपरीत होगा।”