नई दिल्ली, 18 सितम्बर (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने मीडिया के एक वर्ग, खासकर समाचार चैनलों को रेवाड़ी सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता की पहचान उजागर करने पर मंगलवार को कड़ी फटकार लगाई और पूछा कि कैसे इन खुलासों को रोका जाए।
न्यायमूर्ति मदन बी.लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने पीड़िता के पिता की गांव वालों की उपस्थिति में साक्षात्कार किए जाने पर कहा, “पीड़िता की पहचान कहां छुपी रही?”
मुजफ्फरपुर आश्रय गृह मामले में मीडिया की रिपोर्टिग के विरुद्ध याचिका पर सुनवाई के दौरान पीठ ने रेवाड़ी पीड़िता की पहचान उजागर किए जाने पर चिंता व्यक्त की।
पीठ ने कहा, “इसमें कुछ तो गलत है..एक समाचार चैनल पर देखा कि एक लड़की के साथ रेवाड़ी में दुष्कर्म किया गया। वे कहते है कि वह बोर्ड परीक्षा की टॉपर है। केवल एक टॉपर होता है। अब उसे पहचानना में कोई कठिनाई नहीं है। संभवत:, अगर आप गूगल करेंगे तो आप उसे खोज निकालेंगे। रेवाड़ी, दिल्ली, कोलकाता जैसा बड़ा शहर नहीं है..।”
पीठ ने कहा, “उन्होंने पीड़िता के पिता का कैमरे के पीछे से साक्षात्कार किया, लेकिन वहां गांव के लगभग 50 लोग उनके सामने थे। वे उन्हें जानते हैं। वे लोग 50 अन्य लोगों को बताएंगे और सभी उनको जानेंगे। क्या किया जाना चाहिए?”
पीठ ने चिंता जताई और पूछा कि उसकी पहचान को उजागर करने की जिम्मेदारी कौन लेगा।
पीठ ने पूछा कि बताइए इसपर क्या किया जा सकता है, इससे बचने के लिए क्या किया जा सकता है? इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
न्यायमित्र के रूप में अदालत की सहायता कर रहे एक वकील ने पीठ से कहा कि मीडिया खबरों को उत्तेजक बनाता है, इसलिए इसके लिए कोई नियम होना चाहिए।