नई दिल्ली, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। आईआईटी दिल्ली में विज्ञान मेले में लक्षद्वीप विद्यालय की दो छात्राओं द्वारा नारियल के पत्तों से कपास जैसे पदार्थ बनाने की विज्ञान परियोजना सहित कुल 12 परियोजनाओं को प्रतिष्ठित इनोवेशन अवार्ड प्रदान किया गया।
लक्षद्वीप विद्यालय की इन छात्राओं द्वारा विकसित यह पदार्थ कटे हुए स्थान और घाव को ठीक कर सकता है और संक्रमण को रोक सकता है। इसे अगले वर्ष अमेरिका में इंटेल साइंस एंड इंजीनियरिंग फेयर के लिए टिकट भी प्रदान किया गया।
कवरत्ती द्वीप (लक्षद्वीप) के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के छात्रों नौरीन ताज और कुबेर टी. एन. ने 4-8 दिसम्बर तक आईआईएसएफ के तहत आयोजित आईआरआईएस (एनीशियेटिव फॉर रिसर्च एंड इनोवेशन इन साइंस) राष्ट्रीय विज्ञान मेले में यह पुरस्कार प्राप्त किया।
लक्षद्वीप की दोनों लड़कियां उन 16 छात्रों (टीम और व्यक्तिगत) में शामिल हैं जिनकी 12 परियोजनाओं को देश के विभिन्न भागों के स्कूलों द्वारा प्रस्तुत करीब 100 परियोजनाओं में चयन किया गया था। इन 12 परियोजनाओं में दिल्ली और कर्नाटक से तीन- तीन स्कूल, महाराष्ट्र से दो स्कूल, और चंडीगढ़, लक्षद्वीप, झारखंड और पश्चिम बंगाल से एक-एक स्कूल शामिल हैं।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने सोमवार शाम आईआईटी, दिल्ली में आयोजित समारोह में पुरस्कार स्वरूप एक प्रमाण पत्र और एक पदक प्रदान किए। पुरस्कार विजेताओं को मई 2016 में एरिजोना, फीनिक्स (अमरीका) में आयोजित होने वाले इंटेल साइंस एंड इंजीनियरिंग फेयर में अपनी परियोजनाओं को दिखाने का मौका मिलेगा।
इंटेल की शिक्षा सलाहकार सलोनी सिंघल ने बताया कि भारतीय पुरस्कार विजेता अमेरिका में दो सप्ताह के इंटेल आयोजन में भाग लेंगे जहां वे 78 देशों के स्कूली छात्रों की 1700 परियोजनाओं के साथ प्रतिस्पर्धा में शामिल होंगे।
उन्होंने कहा, “पहले सप्ताह में प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। दूसरे सप्ताह के दौरान प्रतिभागी वैज्ञानिकों और अमरीकी अधिकारियों के साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर बातचीत करेंगे और अनुसंधान प्रयोगशालाओं और शैक्षणिक संस्थानों का दौरा करेंगे।”
पुरस्कार विजेताओं में सर्वश्रेष्ठ विजेता को जेनेवा में नोबेल पुरस्कार विजेता समारोह में भाग लेने का मौका मिलेगा। इसके अलावा, एमआईटी लैब के द्वारा उसके नाम पर किसी मामूली ग्रह का नाम रखा जाएगा।
झारखंड में कार्मेल जूनियर कॉलेज स्कूल, जमशेदपुर के एक छात्र, प्रशांत रंगनाथन का चयन उनकी अपनी शोध परियोजना के लिए किया गया था। यह परियोजना जलीय फेरो तरल (लोहे के आक्साइड नैनो कणों से युक्त) का इस्तेमाल कर गेहूं और जौ के अंकुरण और वृद्धि को बढ़ाने पर थी।
एक और दिलचस्प पुरस्कार विजेता परियोजना कृत्रिम न्यूरल नेटवर्क (एएनएन) का उपयोग कर कर्नाटक संगीत का कम्प्यूटेशनल विश्लेषण थी। यह पुरस्कार सिंधी हाई स्कूल, बंगलौर के एक छात्र हेमंत एच कुमार ने जीता।
महाराजा अग्रसेन पब्लिक स्कूल, दिल्ली के हर्षित जिंदल और महिमा यादव को माइकोबैक्टीरियम की गैर रोगजनक प्रजाति, माइकोबैक्टीरियम इंडिकस प्रानी की मदद से दमा के इलाज के लिए एक नये ²ष्टिकोण पर आधारित उनकी परियोजना के लिए पुरस्कृत किया गया। उनका अध्ययन क्रोनिक इंफ्लामेट्री बीमारी के इलाज के लिए एक सुरक्षित, सस्ती और सुरक्षित दवा का मार्ग प्रशस्त करता है।
अन्य पुरस्कार विजेताओं में श्रेयस कपूर (मॉडर्न स्कूल, दिल्ली), धृति गौड़ और पुष्कर मंडल (महाराजा अग्रसेन पब्लिक स्कूल, अशोक विहार, दिल्ली), आदित्य भार्गव (विद्या मंदिर, बंगलौर), आदित्य कांत (धीरूभाई अंबानी इंटरनेशनल स्कूल, मुंबई), सागनिक मजूमदार और अमिक मंडल (हेम शीला मॉडल स्कूल, दुगार्पुर, पश्चिम बंगाल), पार्वती राम (नेशनल पब्लिक स्कूल, इंदिरानगर, बंगलौर), अरविंद कृष्ण रंगनाथन (इकोले मोंडले वल्र्ड स्कूल, मुंबई) और अभिमन्यु कुमार (स्टेपिंग स्टोन्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल, चंडीगढ़) शामिल थे।