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शिवराज का महिमामंडन ‘पेड संपादकीय’ से!

भोपाल, 26 मार्च (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश के एक सामाजिक संगठन ने आरोप लगाया है कि जनसंपर्क विभाग ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के महिमामंडन के लिए देश के प्रमुख पत्रकारों के जरिए लेख, आलेख व संपादकीय लिखवाए और उसे विभिन्न समाचारपत्रों में रकम देकर प्रकाशित करवाया। जनसंपर्क आयुक्त अनुपम राजन ने हालांकि आरोप को नकारा है।

राज्य में जागरूक नागरिकों ने ‘विचार-मध्यप्रदेश’ नाम से एक संगठन बनाया है। इस संगठन की कोर कमेटी के सदस्य पारस सकलेचा, अक्षय हुंका, विनायक परिहार और आजाद सिंह डबास ने कहा, “मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी गिरती साख बचाने के लिए शासकीय धन का निरंतर दुरुपयोग कर रहे हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल के 11 वर्ष पूरे होने पर शासकीय धन से लेखकों के द्वारा स्वयं को महिमामंडित करने वाले लेख लिखवाए, आलेख तैयार करवाए और संपादकीय लिखवाए और उन्हें समाचारपत्रों व पत्रिकाओं में प्रकाशित करवाया।”

विचार-मध्यप्रदेश का दावा है कि शिवराज के महिमामंडन के लिए क्या-क्या करवाया गया, यह जानकारी जनसंपर्क विभाग ने वर्ष 2016-17 के वार्षिक प्रतिवेदन में प्रकाशित की है।

कोर समिति का कहना है, “भ्रष्टाचार और व्यापम घोटाले से बदनाम मुख्यमंत्री शिवराज द्वारा पेड न्यूज छपवाने की खबरें तो निरंतर सुनी जा रही थीं, लेकिन अब तो उन्होंने पेड लेख, पेड आलेख और पेड संपादकीय छपवाने भी शुरू कर दिए हैं।”

विज्ञप्ति में कहा गया है कि संपादकीय किसी समाचारपत्र की पहचान और आत्मा होती है, वह किसी के कहने से न तो लिखा जाता है और न छापा जाता है। लेकिन जनसंपर्क विभाग की यह घोषणा सिर्फ निंदनीय ही नहीं, बल्कि प्रदेश की पत्रकारिता को बदनाम करने का गहरा षड्यंत्र है।

कोर कमेटी ने कहा कि मुख्यमंत्री को यह पता होना चाहिए कि कोई प्रख्यात पत्रकार किसी के इशारे पर संपादकीय नहीं लिखता और अगर लिखता है तो वह पत्रकार ‘प्रख्यात’ कैसे हो सकता है? कोई प्रतिष्ठित लेखक किसी लोभ से किसी को महिमामंडित करने वाले लेख नहीं लिख सकता, अपनी कलम नहीं बेच सकता और अगर ऐसा करता है तो वह लेखक ‘प्रतिष्ठित’ कैसे हो सकता है?

कोर कमेटी ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि अगर उनकी छवि को महिमामंडित करने के लिए उनके इशारों पर प्रतिष्ठित लेखकों ने लेख लिखे हैं, समाचारपत्रों ने संपादकीय प्रकाशित किए हैं तो उन लेखकों और समाचारपत्रों के नाम बताएं और उन्हें कितनी राशि का भुगतान किया गया, उसका खुलासा करें।

जनसंपर्क विभाग के आयुक्त अनुपम राजन ने आईएएनएस से चर्चा करते हुए विचार-मध्यप्रदेश के आरोपों का नकारा, लेकिन माना कि उनका विभाग विभिन्न लेखकों से फीचर सेवाएं लेता है और उसके एवज में उन्हें मानदेय दिया जाता है।

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