भोपाल-मप्र का प्रत्येक चुनाव शिवराज सिंह के लिए करो या मरो की स्थिति निरूपित करता रहा है.भारत की बदलती राजनैतिक परिस्थितियों का असर मप्र में देखने को मिलता है.झाबुआ चुनाव में शिवराज सिंह ने अपनी 16 सभाएं रखीं हैं.इसके अलावा रोड शो भी होने हैं.सत्ता में रहते एक सीट का यह कशमकश राजनैतिक पंडितों का ध्यान इस और आकृष्ट करता है.
प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में बिहार शिकस्त और शिवराज सिंह को वरदहस्त प्रदान करने वाले नेता लालकृष्ण आडवानी के मोदी के प्रति बगावती स्वर ने शिवराज सिंह की राजनैतिक मुश्किलें बढ़ा दी हैं.इन सबसे सुरक्षित रहना इस चुनाव के नतीजे के रूप में सामने आया है.वैसे पेटलावद में हुए विस्फोट और मुख्य आरोपी की अभी तक गिरफ्तारी नहीं होना संकट पैदा कर सकता है.लेकिन शिवराज सिंह चौहान की चुनाव जीतने की आदत और तरकीब दोनों में महारत हासिल हो चुकी है.इसलिए पूरी ताकत शिवराज ने झाबुआ चुनावो में खर्च करने का फैसला कर लिया है.अब देखना यह है की इस 20-20 मैच में आखिरी ओवरों में क्या होता है ?