नई दिल्ली, 2 सितम्बर (आईएएनएस)। देश के श्रमिक सगठनों द्वारा केंद्र सरकार की आर्थिक और श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ आहूत देशव्यापी हड़ताल का बुधवार को व्यापक असर रहा और इससे अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ है।
नई दिल्ली, 2 सितम्बर (आईएएनएस)। देश के श्रमिक सगठनों द्वारा केंद्र सरकार की आर्थिक और श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ आहूत देशव्यापी हड़ताल का बुधवार को व्यापक असर रहा और इससे अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ है।
उद्योग जगत की एक संस्था ने दिन भर की हड़ताल के कारण देश को 25,000 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया है। क्योंकि रक्षा उत्पादन, बैंक, बीमा कंपनियां और डाक घर, खदानों, इस्पात उद्योग और बिजली क्षेत्र लगभग ठप-से हो गए थे।
सरकार ने जहां इस हड़ताल को कमतर बताने की कोशिश की है, वहीं श्रमिक संगठनों ने इसे अभूतपूर्व रूप से सफल करार दिया है।
वरिष्ठ कम्युनिस्ट नेता गुरुदाद दासगुप्ता ने आईएएनएस से कहा, “हड़ताल अभूतपूर्व रही। दिल्ली में हम पहली बार इस तरह का असर देख रहे हैं।”
इसके पहले केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने कहा कि श्रमिकों संघों द्वारा आहूत हड़ताल का कोई खास असर नहीं रहा।
उन्होंने मीडियाकर्मियों से कहा, “सामान्य जनजीवन पर इसका कोई असर नहीं रहा।” उन्होंने कहा कि सरकार ने न्यूनतम वेतन पर एक फार्मूला बनाया गया है, जिसे जल्द ही श्रमिक संघों के समक्ष रखा जाएगा।
शाम को 10 श्रमिक संघों ने एक संयुक्त बयान में कहा, “लाखों श्रमिकों द्वारा की गई यह एक अभूतपूर्व हड़ताल थी। अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों पर असर पड़ा।”
एसोसिएटेड चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया ने हड़ताल के कारण अर्थव्यवस्था को 25,000 करोड़ रुपये नुकसान होने का अनुमान लगाया।
सरकार द्वारा संचालित कोल इंडिया में उत्पादन बुरी तरह प्रभावित रहा। कंपनी के एक अधिकारी ने कहा, “हड़ताल कुल मिलाकर 80 प्रतिशत सफल रही।”
पश्चिम बंगाल को छोड़कर बाकी देश भर में हड़ताल लगभग शांतिपूर्ण रही। पश्चिम बंगाल में वाम कार्यकर्ताओं ने बंद कराने की कोशिश की, जिसके कारण उनका सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों के साथ संघर्ष हुआ, जिसमें कई लोग घायल हो गए।
यह हड़ताल 12 मांगों के पक्ष में थी, जिसमें श्रम कानून संशोंधनों को वापस लेने, न्यूनतम वेतन 15,000 रुपये तय करने और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का निजीकरण न करने जैसी मांगे शामिल थीं।
श्रमिक नेताओं ने कहा कि हड़ताल में लगभग 30 करोड़ श्रमिकों ने हिस्सा लिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मई 2014 में सत्ता संभालने के बाद देश में श्रमिकों की इस दर्जे की पहली हड़ताल रही है।
वित्तीय क्षेत्र में बैंक और बीमा उद्योग के लाखों कर्मचारी हड़ताल पर रहे।
ऑल इंडिया बैंक एंप्लाईज एसोसिएशन (एआईबीइईए) के महासचिव सी.एच. वेंकटचलम ने आईएएनएस से कहा, “3,70,000 करोड़ रुपये मूल्य के चेक का निस्तारण प्रभावित हुआ।”
उन्होंने कहा कि बैंकों की करीब 75 हजार शाखाओं में कामकाज नहीं हुआ और करीब पांच लाख बैंककर्मी हड़ताल पर रहे।
वेंकटचलम ने कहा कि जिला बैंकों के अलावा सभी 52 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में हड़ताल रही। आईडीबीआई और नाबार्ड के कर्मचारी भी हड़ताल पर रहे। कोटक बैंक में भी हड़ताल रही।
उन्होंने कहा, “निजी पूंजी और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को प्रोत्साहित किया जा रहा है। निजी कंपनियों को बैंक शुरू करने के लिए लाइसेंस बांटे जा रहे हैं।”
उनके मुताबिक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के निजीकरण के लिए तमाम विरोधों के बावजूद संसद में एक विधेयक पारित किया गया है।
वेंकटचलम ने कहा, “गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) की समस्या दूर करने के लिए ठीक तरह से कोशिश नहीं की जा रही है, बल्कि बैंकों के लाभ में से करोड़ों रुपये को डूबा हुआ दिखाया जा रहा है।”
उन्होंने कहा, “31 मार्च, 2015 के मुताबिक बैंकों का एनपीए बढ़कर 2,97,000 करोड़ रुपये हो गया है। इससे अलग 530 कंपनियों को दिए गए 4,03,004 करोड़ रुपये के बुरे ऋण को पुनगर्ठित और सरलीकृत ऋण के तौर पर दिखाया गया है।”
बैंकिंग क्षेत्र के 14 संगठनों ने भी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार द्वारा श्रम कानून, निविदा कानून, बिजली कानून और कंपनी कानून में बदलाव करने के विरोध में हड़ताल का साथ दिया।
बैंक एंप्लाईज फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीईएफआई) के महासचिव प्रदीप विश्वास ने आईएएनएस से कहा, “पश्चिम बंगाल में 100 फीसदी कर्मचारी हड़ताल पर रहे। सरकारी और निजी दोनों बैंकों के कर्मचारी इसमें शामिल हुए। सभी बैंकों के कामकाज प्रभावित हुए।”
विश्वास ने कहा, “हमारे कुछ साथियों को स्थानीय राजनीतिक संगठनों से हड़ताल में नहीं शामिल होने की धमकी भी मिली। हमारे सदस्यों ने हालांकि उसकी परवाह नहीं की।”
लेकिन देश के सबसे बड़े भारतीय स्टेट बैंक, और इंडियन ओवरसीज बैंक के श्रमिक संघों ने हड़ताल में हिस्सा नहीं लिया।
सरकारी जीवन और गैर-जीवन बीमा कंपनियों में भी हड़ताल सफल रही।
ऑल इंडिया इंश्योरेंस एंप्लाईज एसोसिएशन (एआईआईईए) के महासचिव वी. रमेश ने हैदराबाद से फोन पर आईएएनएस से कहा, “भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) और चार सरकारी गैर-जीवन बीमा कंपनियों में भी हड़ताल पूर्ण सफल रही। देशभर में बीमा क्षेत्र के करीब एक लाख कर्मचारी हड़ताल पर थे।”
उनके मुताबिक, पश्चिम बंगाल और केरल के बीमा कार्यालय बंद रहे।
श्रमिक नेता वी. उटागी ने कहा कि मुंबई पत्तन न्यास में कामकाज प्रभावित रहा।
लेकिन सार्वजनिक बसें और मुंबई की उपनगरीय रेलों का परिचालन जारी रहा, जबकि उनके श्रमिक संघों ने हड़ताल को समर्थन दे रखा था।
दिल्ली में बैंक, बीमा कंपनियों और औद्योगिक क्षेत्रों ने बंद रखा। अधिकांश ऑटोरिक्शा सड़कों पर नहीं उतरे। हालांकि दिल्ली मेट्रो का परिचालन सामान्य तौर पर जारी रहा।
केरल में अधिकांश आईटी कंपनियों में उपस्थिति नगण्य रही। कर्नाटक में बंद का मिला-जुला असर रहा। जबकि तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में परिवहन और बैंकिंग सेवा बुरी तरह प्रभावित रही।
बिहार में सामान्य जनजीवन प्रभावित रहा। हड़तालियों ने कई स्थानों पर सड़कें जाम कर दी और रेलगाड़ियां रोक दी। उत्तर प्रदेश में भी हड़ताल का व्यापक असर रहा। परिवहन सेवा ठप थी, यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ी।
यह हड़ताल 10 केंद्रीय श्रमिक संघों की 12 सूत्री मांगों के पक्ष में की गई।