नई दिल्ली, 29 जून (आईएएनएस)। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने बुधवार को कहा कि संसद का मानसून सत्र 18 जुलाई से शुरू होगा और 12 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक को पारित कराना सरकार के एजेंडे में शीर्ष पर होगा।
यह निर्णय संसदीय मामलों पर मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में लिया गया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने हिस्सा लिया।
नायडू के अनुसार, बैठक में सुषमा ने कहा कि यदि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) और प्रधानमंत्री के विदेश दौरों को लेकर सवाल उठाए जाते हैं तो वह बयान देंगी।
बैठक के बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “मानसून सत्र की शुरुआत 18 जुलाई को हो रही है, जिसमें 20 कामकाजी दिन होंगे।”
उन्होंने कहा, “इस दौरान हम जो विधेयक लाएंगे, उनमें से एक महत्वपूर्ण विधेयक जीएसटी है।” उन्होंने खासकर वैश्विक अर्थव्यवस्था में अस्थिरता को देखते हुए इसे देश की अर्थव्यवस्था के हित में बताया।
उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति में भारत के पास बड़े अवसर हैं और यदि जीएसटी पारित हो जाता है तो भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी से विकास होगा।
मंत्री ने कहा, “इसे ध्यान में रखते हुए मैं सभी राजनीतिक दलों से अपील करता हूं कि विधेयक को पारित कराने में सहयोग दें। हमने इस पर बहुत समय जाया किया है।”
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इस विधेयक को ‘आम सहमति’ से पारित कराना चाहती है, अन्यथा सरकार के पास इसके लिए पर्याप्त संख्या बल है।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया है कि सभी मंत्री अपने विभागों से संबंधित ऐसे सभी प्रस्तावों पर आंतरिक बैठक और चर्चा करेंगे, जिन्हें मसौदे के रूप में लाया जाता है।
नायडू ने कहा, “हमने उनसे कहा कि उन्हें तीन जुलाई तक तैयार रहना होगा, क्योंकि नियम कहते हैं कि आपको लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति को 15 दिनों का नोटिस देना होगा।”
उन्होंने कहा कि राज्यसभा में 45 विधेयक लंबित हैं, जबकि लोकसभा में 11 विधेयक लंबित हैं। इनमें से कुछ को स्थायी समितियों के पास भेजा गया है। समितियों ने अपने अध्ययन पूरे कर लिए हैं।
नायडू ने कहा कि संसदीय कार्य मंत्री होने के नाते उन्होंने सभी मंत्रियों से कहा है कि वे अपने विभागों से संबंधित विधेयकों पर ताजा स्थिति की जानकारी हासिल करें और पीठासीन अधिकारियों को संबंधित विधेयकों पर नोटिस देने के लिए तैयार रहें।
उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त तीन अध्यादेशों को भी पारित करने की जरूरत है। इनमें शत्रु संपत्ति (संशोधन एवं वैधता) विधेयक, भारतीय चिकित्सा परिषद एवं भारतीय दंड चिकित्सा परिषद अध्यादेश शामिल हैं।