हैदराबाद, 9 अप्रैल (आईएएनएस)। सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज लिमिटेड के संस्थापक और पूर्व अध्यक्ष रामालिंगा राजू, उनके दो भाइयों और सात अन्य को गुरुवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने सत्यम घोटाला मामले में सात साल कैद की सजा सुना दी। इस मामले का तिथिवार घटनाक्रम इस प्रकार है :
7 जनवरी 2009 : रामालिंगा राजू ने सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज लिमिटेड के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया और खुद स्वीकार किया कि कंपनी कई साल से अपना मुनाफा बढ़ा-चढ़ाकर पेश करती रही है।
9 जनवरी 2009 : पुलिस ने रामालिंगा राजू, उनके भाई और कंपनी के निदेशक रामा राजू को गिरफ्तार किया। केंद्र ने सत्यम का बोर्ड भंग किया। सत्यम को सेंसेक्स, निफ्टी से बाहर किया गया।
11 जनवरी 2009 : केंद्र ने दीपक पारेख, किरण कार्णिक और सी अच्युतन को सत्यम के बोर्ड में नियुक्त किया।
16 फरवरी 2009 : सीबीआई ने सत्यम की जांच शुरू की। उसने अदालत से कहा कि सत्यम ने निवेशकों का 14,162 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
6 मार्च 2009 : सेबी सत्यम के निवेशकों का चुनाव करने के लिए बोली लगाने की प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति दी।
7 अप्रैल 2009 : सीबीआई ने प्रथम आरोप पत्र दाखिल किया, राजू तथा अन्य पर आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी, गबन, खातों में हेराफेरी और सबूत छुपाने का आरोप लगाया।
22 अप्रैल 2009 : सत्यम के लिए हुई नीलामी में टेक महिंद्रा ने लगाई सबसे ऊंची बोली।
जून 2009 : टेक महिंद्रा ने सत्यम की नई ब्रांड पहचान महिंद्रा सत्यम लांच की।
24 नवंबर 2009 : सीबीआई ने दूसरा आरोप पत्र दाखिल किया।
7 जनवरी 2010 : सीबीआई का तीसरा आरोप पत्र दाखिल।
15 जनवरी 2010 : आंध्रप्रदेश उच्च न्यायालय ने विशेष अदालत का गठन किया।
18 अगस्त 2010 : आंध्रप्रदेश उच्च न्यायालय ने आरोपियों को जमानत दी।
26 अक्टूबर 2010 : सर्वोच्च न्यायालय ने जमानत रद्द की और आरोपियों को 10 नवंबर तक समर्पण करने के लिए कहा।
2 नवंबर 2010 : विशेष अदालत में सुनवाई शुरू।
4 नवंबर 2011 : विशेष अदालत के समय सीमा के अंदर सुनवाई करने में असफल रहने पर सर्वोच्च न्यायालय ने राजू तथा अन्य को जमानत दी।
28 अक्टूबर 2013 : प्रवर्तन निदेशलय ने 47 लोगों और रामालिंगा राजू की अध्यक्षता वाली 166 कारोबारी इकाइयों के खिलाफ आपराधिक शिकायत दाखिल की।
8 दिसंबर 2014 : आर्थिक अपराध अदालत ने गंभीर अपराध जांच कार्यालय (एसएफआईओ) द्वारा दाखिल सात में से छह मामलों में रामालिंगा राजू और तीन अन्य को छह महीने कारावास की सजा दी।
23 दिसंबर 2014 : विशेष अदालत ने विशाल दस्तावेज का हवाला देते हुए फैसला आगे के लिए टाल दिया।
9 मार्च 2015 : अदालत ने 9 अप्रैल तक के लिए फैसला टाला।
9 अप्रैल 2015 : रामालिंगा राजू और नौ अन्य को दोषी पाते हुए सात साल कैद की सजा दी गई।