बेंगलुरू, 11 दिसम्बर – तीन दशकों तक सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी इंफोसिस को सींच कर एक वैश्विक कंपनी बनाने के बाद एनआर नारायणमूर्ति के नेतृत्व में इसके संस्थापक अब समाज सेवा के लिए एक बड़ा कदम बढ़ाने के लिए कमर कस रहे हैं।
समाज सेवा और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए इंफोसिस के सात मूल संस्थापक सदस्यों में से चार और उनके परिवार ने धन जुटाने के लिए सोमवार को इंफोसिस के कुल 3.26 करोड़ शेयर बेच डाले।
बाजार नियामक को इस बिक्री की जानकारी देने के एक दिन बाद मूर्ति ने आईएएनएस से कहा, “समाज सेवा और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए धन जुटाने के मकसद से हमने अपनी शेयरधारिता का एक छोटा अंश बेच दिया है।”
मूर्ति के साथ-साथ नंदन नीलेकणी और के दिनेश तथा उनके पारिवारिक सदस्यों तथा चौथे संस्थापक एसडी शिबुलाल की पत्नी ने कुल 6,484 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
मूर्ति ने चार लाख, उनकी पत्नी (सुधा) ने 56 लाख, बेटी (अक्षता) ने 6 लाख, नीलेकणी और उनकी पत्नी ने 60 लाख (प्रत्येक), दिनेश ने 7 लाख, उनकी पत्नी (आशा) ने 40 लाख, उनकी पुत्रियों (दीक्षा और दिव्या) ने 7,50,260 (प्रत्येक) और कुमारी शिबुलाल ने 24 लाख शेयर बेचे।
68 वर्षीय मूर्ति ने कहा, “मैं अब आधिकारिक रूप से इंफोसिस से जुड़ा हुआ नहीं हूं। मैं अपने कुछ पुराने सहयोगियों के साथ समाज सेवा से जुड़ना चाहता हूं।”
उन्होंने कहा, “मैं इंफोसिस के साथ एक शुभचिंतक और एक छोटे निवेशक के तौर पर जुड़ा रहूंगा, हालांकि हमारे परिवार की हिस्सेदारी अब भी छोटे हिस्सेदारों में सर्वाधिक रहेगी।”
मूर्ति ने इंफोसिस के बाजार मूल्य की वृद्धि पर रोशनी डालते हुए कहा, “1993 में जब इंफोसिस बंबई स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हुई थी, तब इसका बाजार मूल्य 28.5 करोड़ रुपये था। 2014 में इसका बाजार मूल्य 2,00,000 करोड़ रुपये हो गया। यह हर साल 89 फीसदी की वृद्धि है।”
इंफोसिस के संस्थापक पहली बार समाज सेवा से जुड़ने नहीं जा रहे हैं। इंफोसिस 1981 में स्थापना के समय से सामाजिक जवाबदेही निभा रही है।
कंपनी ने 2009 में इंफोसिस साइंस फाउंडेशन (गैर लाभकारी ट्रस्ट) की स्थापना की। इसे 100 करोड़ रुपये दिया गया। ट्रस्ट हर साल विशेष उपलब्धियों के लिए छह शोधार्थियों और विज्ञानियों को छह क्षेत्रों में 55 लाख रुपये (प्रत्येक) का पुरस्कार देता है।
कंपनी के पूर्व बोर्ड सदस्य टी.वी. मोहनदास पई ने आईएएनएस से कहा, “संस्थापकों के लिए संस्थापक प्रबंधक और फिर निवेशक के रूप में खुद का बदलना महत्वपूर्ण है। इससे बड़ा, अधिक प्रतिस्पर्धी और बोर्ड प्रबंधित कंपनी का विकास होता है।”
पूर्व बोर्ड सदस्य और पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी वी बालाकृष्णन ने कहा कि मूर्ति के नेतृत्व में सह-संस्थापकों ने देश को दिखाया है कि पूंजीवाद और सामाजिक सेवा साथ-साथ चल सकती है।
बालाकृष्णन ने आईएएनएस से कहा, “उन्होंने (सह-संस्थापकों ने) वैध तरीके से और सही तरीके से धन का सृजन किया साथ ही इसका उपयोग समाज की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए किया है।”