नई दिल्ली, 25 अगस्त (आईएएनएस)।कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने कहा है कि अपने ‘टकराव वाले रवैये’ की वजह से केंद्र सरकार ने देश का राजनीतिक वातावरण दूषित कर दिया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तानाशाह हैं, जो विपक्ष से मेल-मिलाप की कोई कोशिश नहीं करते।
नई दिल्ली, 25 अगस्त (आईएएनएस)।कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने कहा है कि अपने ‘टकराव वाले रवैये’ की वजह से केंद्र सरकार ने देश का राजनीतिक वातावरण दूषित कर दिया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तानाशाह हैं, जो विपक्ष से मेल-मिलाप की कोई कोशिश नहीं करते।
जयराम रमेश ने आईएएनएस के साथ खास मुलाकात में वित्तमंत्री अरुण जेटली के लोकसभा बनाम राज्यसभा वाले बयान की भी आलोचना की। जेटली ने कहा था कि “अप्रत्यक्ष तरीके से चुनी गई” राज्यसभा “प्रत्यक्ष तरीके से चुनी गई” लोकसभा से पारित सुधार संबंधित प्रस्तावों को रोक रही है।
रमेश ने सरकार और विपक्ष के बीच की कड़वाहट पर कहा, “मोदी बातचीत की कोई कोशिश नहीं कर रहे हैं। यह उनके स्वभाव में नहीं है। यह उनके डीएनए में नहीं है। कोई आपसी संपर्क नहीं है। उनका पूरा रवैया टकराव वाला है। उनकी बयानबाजियां टकराव पैदा करने वाली होती हैं। उनके शरीर की भंगिमा टकराव के लिए आमंत्रण देने वाली होती है। मुझे नहीं लगता कि वह लोगों के साथ काम करने की कोई इच्छा रखते हैं।”
रमेश ने कहा, “कांग्रेस को छोड़िए, वह (मोदी) तो अपने मंत्रियों तक से संवाद नहीं करते। वह भीतर से तनाशाह हैं।”
उल्लेखनीय है कि संसद के मानसून सत्र में पूरी तरह गतिरोध बना रहा था। कांग्रेस पूर्व आईपीएल प्रमुख और धन की हेराफेरी के आरोपी ललित मोदी की मदद का आरोप लगाते हुए विदेशमंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का इस्तीफा मांगती रही। व्यापमं घोटाले में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का इस्तीफा भी पार्टी मांग रही थी।
रमेश से आईएएनएस ने पूछा कि क्या इन तीनों नेताओं की मांग पर कांग्रेस अब भी कायम है। उन्होंने कहा, “हां, पूरी तरह से।”
राज्यसभा में कांग्रेस सांसद जयराम रमेश का कहना है कि संसद में गतिरोध तोड़ने के लिए सरकार को पहल करनी चाहिए थी।
उन्होंने कहा, “सहमति बनाने का काम विपक्ष का नहीं होता। यह सरकार की जिम्मेदारी होती है कि वह सबसे मिले। उन्हें (मोदी को) अधिक सक्रिय होना चाहिए था। हम सभी जानते हैं कि यह मोदीचालित सरकार है। सभी जवाबदेहियोंकी जिम्मेदारी स्वयं प्रधानमंत्री की है।”
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता शरद पवार ने कहा था कि उन्होंने आपातकाल के बाद ऐसी राजनीतिक कटुता कभी नहीं देखी। इस पर रमेश ने कहा, “राजनीतिक वातावरण सरकार के टकराव वाले रवैये की वजह से दूषित हुआ है।”
रमेश ने कहा कि उन्हें सरकार की ऐसी किसी योजना के बारे में नहीं पता है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक पारित कराने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया जा सकता है।
उन्होंने कहा, “जीएसटी पर हमने अपना रुख बिलकुल साफ कर दिया है। हम 18 फीसद सीलिंग, पंचायतों और नगरपालिकाओं को मुआवजा, विवाद निपटाने का तंत्र बनाने और एक फीसदी अतिरिक्त कर का खात्मा चाहते हैं। सरकार को हमारे सुझावों पर गौर करना चाहिए।”
पूर्व केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने भूमि अधिग्रहण विधेयक पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के साथ काफी काम किया था। उन्होंने वित्तमंत्री अरुण जेटली के उस बयान की आलोचना की, जिसमें उन्होंने कहा था कि वक्त आ गया है जब इस पर बहस होनी चाहिए कि अप्रत्यक्ष रूप से चुना गया सदन (राज्यसभा) प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा चुने गए सदन (लोकसभा) से पारित प्रस्तावों को किस हद तक रोक सकता है।
रमेश ने कहा, “मेरी समझ में नहीं आता कि यह विचित्र थ्योरी उन्हें कहां से मिली। देश का संविधान दोनों सदनों में कोई भेद नहीं करता, सिवाय वित्त विधेयकों के मामलों को छोड़कर।”
उन्होंने कहा, “संविधान सभा में हुई बहसों में नेताओं ने ऊपरी सदन की जरूरत महसूस की थी। आप सिर्फ इसलिए ऊपरी सदन की महत्ता को कम नहीं कर सकते, क्योंकि यहां आपके पास बहुमत नहीं है। दोनों सदन समान रूप से महत्वपूर्ण हैं, दोनों की ही अपनी-अपनी भूमिकाएं हैं।”
उल्लेखनीय है कि राज्यसभा में कांग्रेस के पास सर्वाधिक 68 सांसद हैं। सरकार के पास राज्यसभ में बहुमत नहीं है, जिसके कारण जीएसटी विधेयक ऊपरी सदन में लटका हुआ है।