टोरंटो, 9 दिसम्बर (आईएएनएस)। अगर आप अपने बच्चों के आसान से सवालों के जवाब गूगल में तलाशते हैं, तो आप गलत कर रहे हैं। क्योंकि एक नए शोध से सामने आया है कि इंटरनेट का अधिकाधिक इस्तेमाल आपकी निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करता है।
एक नए अध्ययन के अनुसार, बहुत सारे लोग किसी सवाल के जवाब के लिए अपने दिमाग पर जोर डालने की बजाए गूगल का इस्तेमाल करते हैं। जिसकी वजह से वह खुद से ज्यादा भरोसा गूगल पर करने लगे हैं।
कनाडा की वॉटरलू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर इवान एफ. रिस्को के अनुसार, “यह सही है कि इंटरनेट की सर्वव्यापकता ने हमें जानकारी का भंडार दिया है, लेकिन इस भंडार की वजह से लोग अपने खुद के ज्ञान पर कम भरोसा करने लगे हैं।”
प्रोफेसर रिस्को ने इस अध्ययन के लिए 100 प्रतिभागियों की टीम पर परीक्षण किया। इसमें उन्होंने लोगों से आसान से सवाल किए।
इनमें से आधे प्रतिभागियों के पास इंटरनेट की सुविधा थी। जिन्हें सवालों का जवाब नहीं पता वह इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकते थे।
अन्य आधे प्रतिभागियों के पास इंटरनेट नहीं था।
वैज्ञानिकों ने पाया कि जिन लोगों के पास इंटरनेट सुविधा थी, उनमें जवाब पता होने से इंकार करने की संभावना पांच फीसदी अधिक थी।
परिणामों की व्याख्या में शोधार्थियों ने अनुमान लगाया कि इंटरनेट की सुविधा होने से लोग जवाब नहीं होने पर यह कहना भी स्वीकार नहीं कर सकते हैं कि उन्हें जवाब पता है।
इसके अलावा उन्होंने यह भी अनुमान लगाया कि प्रतिभागियों द्वारा जवाब पता न पता होने की बात कहने की वजह इंटरनेट पर निर्भरता है। क्योंकि इंटरनेट जानकारियों का एक बड़ा माध्यम है, जो हमें दिमाग खर्च किए बिना ही त्वरित (शीघ्र) और आसानी से सवालों के जवाब हासिल करने की सुविधा देता है।
रिस्को के अनुसार, “यह निष्कर्ष बताते हैं कि इंटरनेट हमारे निर्णयों को किस हद तक प्रभावित करता है और हम उम्मीद करते हैं कि यह शोध हमें इंटरनेट पर बढ़ती निर्भरता के प्रति सचेत करेगा।”
यह अध्ययन शोध पत्रिका कांशसनेस एंड कोग्नीशन में प्रकाशित हुआ है।