नई दिल्ली, 12 सितम्बर (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरल(आरजी) समेत सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को निर्देश दिया कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों के विवरण पेश किए जाएं।
न्यायालय ने साथ ही यह भी पूछा कि क्या इस संबंध में 2017 में न्यायालय के आदेश पर इन मामलों की सुनवाई के लिए गठित विशेष न्यायालयों में ये मामले स्थानांतरित किए गए हैं।
न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ की पीठ ने यह जानकारी भी मांगी कि क्या उसके आदेश पर गठित की गई विशेष अदालतें चल रही हैं।
न्यायालय ने यह भी जानना चाहा कि लंबित मामलों की संख्या को देखते हुए, क्या अतिरिक्त न्यायालयों की आवश्यकता है।
अदालत ने यह स्पष्ट किया कि अगर जरूरत पड़ी तो वह समय-समय पर पारित अपने आदेशों के अनुपालन की निगरानी करेगी।
अदालत इस संबंध में 11 सितंबर को केंद्रीय विधि मंत्रालय द्वारा पेश शपथपत्र से संतुष्ट नहीं था, जिसके बाद अदालत ने यह आदेश दिया।
शपथपत्र में बताया गया कि कुल 1,233 आपराधिक मामलों को विशेष अदालतों में स्थानांतरित किया गया है। इनमें से 136 मामलों का निपटारा किया गया और बाकी 1,097 मामले लंबित हैं।
अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर पेश वकील साजन पवैया ने अदालत से आग्रह किया कि वह देखे कि क्या विशेष अदालतें सचमुच में काम करती हैं, क्योंकि उन्होंने राज्यों द्वारा गठित पोक्सो अदालतों का उदाहरण दिया, जोकि पीठासीन न्यायाधीशों की अनुपलब्धता के कारण नहीं चल पा रही हैं।