कोच्चि, 1 अक्टूबर (आईएएनएस)। देश में मछली उत्पादन बढ़ाने के लिए केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान केंद्र (सीएमएफआरआई) सभी समुद्री राज्यों में ‘मेरीकल्चर’ गतिविधियों को लोकप्रिय बनाने पर ध्यान केंद्रित करेगा।
यह निर्णय ‘मेरीकल्चर’ पर अखिल भारतीय नेटवर्क परियोजना की बैठक में किया गया, जिसका संयोजन सीएमएफआरआई ने किया।
‘मेरीकल्चर’ मत्स्यपालन की एक शाखा है, जिसमें समुद्री जीवों और अन्य भोज्य पदार्थो की खेती खुले समुद्र, समुद्र से सटे भाग या तलाबों, जलकुंडों या नहरों में की जाती है, जहां समुद्र के जल से भरे होते हैं।
सीएमएफआरआई के निदेशक ए. गोपालकृष्णन ने कहा कि आबद्ध मत्स्य उत्पादन स्थैतिक दौर से गुजर रहा है।
गोपालकृष्णन ने कहा, “इसलिए समुद्री भोज्य पदार्थों की लगातार बढ़ रही मांगों को पूरा करने के लिए मेरीकल्चर पर एक विकल्प के रूप में विचार किया जा सकता है। सीएमएफआरआई द्वारा विकसित खुले समुद्र में पिंजरा खेती पद्धति खेती के अच्छे मॉडलों में से एक है, जिसे देश के मछुआरे समुदाय के बीच प्रभावी ढंग से लोकप्रिय बनाया जा सकता है।”
उन्होंने आगे कहा, “मेरीकल्चर कुछ हद तक समुद्री मछली के उत्पादन की मांग और पूर्ति के अंतर को पाट सकती है। तटीय इलाके में मछुआरे समुदाय के लिए जीविका के अच्छे विकल्प के रूप में भी इस पर विचार किया जा सकता है।”
उन्होंने यह भी कहा कि सीएमएफआरआई देश में मेरीकल्चर गतिविधियों के विकास के लिए राष्ट्रीय नीति बनाने हेतु भागोलिक सूचना प्रणाली पर भारतीय तटों के संभावित मेरीकल्चर स्थलों को चिन्हित करने का काम तेज करेगा।