बीजिंग, 11 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारत द्वारा वर्ष 2018 तक पाकिस्तान से लगी अपनी सीमा को सील कर देने का फैसला ‘अतार्किक’ है और इससे पाकिस्तान के साथ उसके द्विपक्षीय संबंधों को बड़ा धक्का लगेगा। चीन के एक अखबार ने मंगलवार को विश्लेषकों के हवाले से यह बात कही।
भारत के गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को घोषणा की थी कि भारत और पाकिस्तान के बीच की 3323 किलोमीटर सीमा को वर्ष 2018 के दिसम्बर तक पूरी तरह से सील कर दिया जाएगा।
जम्मू एवं कश्मीर के उड़ी में सेना के एक शिविर पर आतंकी हमले और बाद में भारत की ओर से नियंत्रण रेखा के पार सर्जिकल स्ट्राइक करने के बाद दोनों देशों में बढ़े तनाव के बीच राजनाथ ने यह घोषणा की है।
अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस ऑफ द शंघाई एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज के हू झियोंग के हवाले से कहा, “अभी जबकि उड़ी हमले के बाद विस्तृत जांच भी पूरी नहीं हुई है और ऐसा कोई सबूत नहीं है कि हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ है, भारत एक अविवेकपूर्ण निर्णय ले रहा है।”
हू ने यह भी कहा कि सीमा को पूरी तरह सील करने से पहले ही मुश्किलों से हो रहे सीमा व्यापार और बातचीत में और बाधा आएगी।
शंघाई म्युनिसिपल सेंटर फॉर इंटरनेशनल स्टडीज के इंस्टीट्यूट फॉर सदर्न एंड सेंट्रल एशियन स्टडीज के निदेशक वांग देहुआ ने ग्लोबल टाइम्स से कहा कि सीमा सील करना दोनों पक्षों के शांति प्रयासों को बाधित ही करेगा।
हू ने कहा कि भारत का फैसला शीत युद्ध की उसकी मानसिकता को दर्शाता है और यह केवल भारत और पाकिस्तान के नियंत्रण वाले कश्मीर के निवासियों में नफरत को और बढ़ाने का कारण बनेगा।
हू ने कहा कि चूंकि पाकिस्तान, चीन के सुख-दुख का रणनीतिक साझीदार है, इसलिए चीन-पाकिस्तान-भारत के संबंध और जटिल हो जाएंगे।
उन्होंने कहा कि कश्मीर विवाद का शांतिपूर्ण समाधान चीन की अपनी सुरक्षा के लिए, खासकर उसके पश्चिमी क्षेत्र के हित में है।