नई दिल्ली, 23 अक्टूबर (आईएएनएस)। केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) के.वी. चौधरी ने कहा कि ‘दंडात्मक सतर्कता’ से अधिक ‘सुरक्षात्मक सतर्कता’ पर जोर दिया जाना चाहिए। निर्धारित प्रक्रियाओं से अलग अगर कुछ होता है, तो उस मामले में सचेत करने के लिए प्रणालियां और प्रक्रियाएं तैयार की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि गलत कार्य पर रोक लगाने के लिए प्रणाली में बदलाव लाना महत्वपूर्ण है।
सतर्कता जागरूकता सप्ताह 26 से 31 अक्तूबर तक मनाया जा रहा है। इस वर्ष सतर्कता जागरूकता का विषय है – ‘सुशासन के लिए साधन के रूप में सुरक्षात्मक सतर्कता’। केंद्रीय सतर्कता आयोग, सुरक्षात्मक सतर्कता और इस बिंदु पर जोर दे रहा है कि सतर्कता को अलग से नहीं बल्कि इसे सुशासन तथा बेहतर प्रक्रिया संबंधी परिणाम हासिल करने में साधन के रूप में देखा जाए।
सत्यनिष्ठ व्यक्ति के रूप में प्रसिद्ध सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर प्रतिवर्ष सतर्कता जागरूकता सप्ताह मनाया जाता है।
नई दिल्ली में पत्रकार सम्मेलन में शुक्रवार को केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) के.वी. चौधरी ने लंबित और देरी के मामलों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जिन क्षेत्रों में देरी होती है, उन्हें चिन्ह्ति करने की आवश्यकता है और आवेदनों, उनके मानदंडों तथा अन्य संबंधित मामलों से निपटने के बारे में प्रक्रियाओं और एसओपी को व्यवस्थित कर उचित कार्रवाई की जानी चाहिए।
भ्रष्टाचार के बारे में समझाते हुए उन्होंने कहा कि केवल पैसा देना ही भ्रष्टाचार नहीं है, बल्कि इसमें वे सभी कार्य शामिल हैं, जहां पर प्रक्रियाओं के साथ समझौता किया जाता है। उन्होंने कहा कि अब मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ), आयोग की वेबसाइट के जरिये उनके संगठनों से संबंधित मामलों में विलंब के बारे में जान सकते हैं, जिसके कारण मामलों का निपटान में तेजी आई है और लंबित मामलों की संख्या कम हो गई है। आयोग, मुख्य सतर्कता अधिकारियों के कार्य पर भी नजर रख सकता है।
आयोग का मुख्य ध्यान लंबित मामलों को कम करने पर है। 30 जून, 2015 को अभियोजन के लिये लंबित 28 मामले (4 महीने से अधिक पुराने) थे, जो दो महीने में 31 अगस्त, 2015 को घटकर 15 रह गए।
उन्होंने कहा कि सतर्कता जागरूकता सप्ताह का उद्देश्य भ्रष्टाचार के गलत प्रभाव के बारे में लोगों के बीच जागरूकता फैलाना है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष मुख्य सतर्कता अधिकारी स्कूल और कॉलेज स्तर पर व्याख्यान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे युवाओं तक सुरक्षात्मक सतर्कता का संदेश जाएगा, जो बड़े पैमाने पर समाज को प्रभावित करने की स्थिति में है।
जागरूकता सप्ताह के दौरान देश भर के 135 शहरों/कस्बों में विचार-विमर्श/वाग्मिता/व्याख्यान आयोजित किए जा रहे हैं। 101 संगठनों के मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) इन प्रतियोगिताओं को आयोजित करने में जुटे हैं और प्रत्येक सीवीओ को कुछ शहरों/ कस्बों में यह कार्यक्रम आयोजित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्हें निर्देश दिया गया है कि कम-से-कम तीन कॉलेजों और दो स्कूलों में यह प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएं।
देश भर के 2000 कॉलेजों और स्कूलों में प्रतियोगिताएं आयोजित किए जाने की उम्मीद है। दिल्ली, चेन्नई, मुम्बई, कोलकाता, हैदराबाद, बेंगलूरू, पुणे, विजयवाड़ा और अहमदाबाद सहित देशभर के शहरों में कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं।