नई दिल्ली, 9 सितम्बर (आईएएनएस)। दिल्ली राज्य के 35 लाख असंगठित और प्रवासी मजदूरों के हक की लड़ाई लड़ने के लिए बंधुआ मुक्ति मोर्चा ने कमर कस ली है। संगठन इस लड़ाई को सड़क से लेकर अदालत तक लड़ेगा। इस बात का आगाज संगठन के अध्यक्ष स्वामी अग्निवेश ने जंतर मंतर पर स्थित संगठन के कार्यालय पर आयोजित बैठक में किया।
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने मजदूरों की मजदूरी 50 फीसदी बढ़ाकर सराहनीय कार्य किया है। दिल्ली व केंद्र सरकार की लड़ाई में मजदूरों का हक मारा जाना बिल्कुल गलत है। उन्होंने उप राज्यपाल नजीब जंग से मांग की कि इस मामले में वे तत्काल संज्ञान लें।
स्वामी ने कार्यकर्ताओं को निर्देश देते हुए कहा कि वे लोग दिल्ली में विभिन्न जगहों पर जा-जाकर मजदूरों की समस्याओं को सूचीबद्ध तरीके से सर्वे करें। हम लोग इन समस्याओं को हल कराने के लिए युद्ध स्तर पर काम करेंगे। उनका कहना था कि मजदूरों की समस्याओं पर हमेशा राजनीति हो जाती है और इसका खामियाजा मजदूर को भुगतना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार में सरकारी सर्वे में दिल्ली के 35 लाख में से 32 लाख मजदूरों को बंधुआ करार दिया गया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने इस मामले को हल नहीं कराया। तो क्या अब आप सरकार भी इस मामले को ऐसे ही लटका कर रखेगी? यदि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मजदूरों का वेतन बढ़ाया है तो इस समस्या को हल कराना भी उनका कत्र्तव्य है।
उन्होंने कहा कि यदि यह मामला हल नहीं हुआ तो वे केंद्र सरकार व राष्ट्रपति तक जाने से भी नहीं हिचकेंगे। इस अवसर पर स्वामी ने आकाशवाणी पर मजदूर वाणी व दूरदर्शन पर मजदूर दर्शन 50 करोड़ असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की समस्याओं व उनके लिए चलाई जा रही योजनाओं के बारे में विस्तार से बताने तथा दिखाने की मांग की।
इस अवसर पर मजदूरों का हक मारने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों को चेताते हुए उन्होंने कहा कि जिन मजदूरों का मान-सम्मान व अधिकार मारा जा रहा है, वे बंधुआ मजदूर की तरह हैं। बंधुआ मुक्ति मोर्चा किसी भी हालत में बंधुआ मजदूरी का कलंक बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने आह्वान किया कि सब मजदूर अपने हक के लिए खड़े हो जाएं। दिल्ली में मजदूर की निर्णायक लड़ाई लड़ी जाएगी।
स्वामी ने कहा कि पूंजीपतियों व सरकारों की मिलीभगत से मजदूरों का शोषण किया जा रहा है, जिसके खिलाफ आवाज उठाना जरूरी हो गया है। उन्होंने मजदूरों की लड़ाई लड़ने के लिए कार्यकर्ताओं से कमर कसने को कहा। इस अवसर पर उन्होंने संगठन को और मजबूत करने की जिम्मेदारी अलग-अलग कार्यकर्ता को सौंपी।