भोपाल। मप्र में फर्जी तरीके से पुलिस थानों में टॉवर लगाने की जांच भले ही लोकायुक्त अभी पूरी नहीं कर पाया है। लेकिन इससे पहले ही 4जी सेवा प्रदाता कंपनी रिलायंस जियों प्रबंधन के कर्मचारी विरोधी निर्णय ने पीडि़तों को आक्रोश से भर दिया है।
दरअसल मुकेश अंबानी के नियंत्रण वाली रिलायंस जियो ने कंपनी के 104 कर्मचारियों को होली के दिन ही 23 मार्च को ही बाहर का रास्ता दिखाकर बेरोजगार बना दिया है। ताज्जुब की बात यह है, कि फिल्ड इंजीनियर के पर सेना से सेवानिवृत्ति रखे गए इन कर्मचारियों में अधिकतर का 2 साल का अनुबंध भी पूरा नहीं हुआ है। प्रदेश में नेटवर्क तैयार करने की गरज से इस संवर्ग में प्रदेश भर में रखे गए लगभग 500 कर्मचारियों के निकालने का क्रम अभी बंद नहीं हुआ है। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है, कि शुक्रवार एनओसी देने के लिए लगभग 23 कर्मचारियों को कंपनी द्वारा मुहैया कराए गए साजो-सामान के साथ फिर बुलाया गया है।
त्योहार के समय कर्मचारियों को अचानक निकाले जानें के निर्णय का खुलासा भी नहीं किया गया है। टेक्रिकल व मेंटीनेंशन प्रबंधक का दायित्व संभाल रहे कपिल मंगतानी की माने तो, कर्मचारियों को निकालने की जानकारी नहीं है। जबकि कंपनी के मप्र हेड अजय यादव का कहना है, कि वह छुट्टी पर हैं, इसलिए कोई जानकारी नहीं है।
जबकि एमपी सीजी हेड प्रवीण राय दूरभाष पर बजाय किसी प्रश्र का उत्तर देने के यह बताते हुए फोन काट दिया, कि नेटवर्क के चलते आवाज सुनाई नहीं दे रही है। इसके बाद उन्होंने फोन भी बंद कर दिया। नाम उजागर न करने की गरज से निकाले गए कर्मचारियों में से एक ने निर्णय पर पुर्नविचार नहीं करने पर कोर्ट में जाने की चेतावनी दी है। क्योंकि कंपनी द्वारा संविदा की शर्तों का खुला उल्लंघन किया गया है।
रिलायंस जियो पर सरकारी मेहरबानी!
रिलायंस जियो की 4जी मोबाइल नेटवर्किंग सेवा 18,000 शहरों और एक लाख से अधिक गांवों में उपलब्ध होगी। लेकिन सरकार की मेहरबानी मप्र में किसी से छिपी नहीं है। जिसमें प्रदेश के 43 जिलों के 553 थानों पर टावर लगाने की अनुमति संबंधी प्रस्ताव अहम है। हालांकि रिलायंस को यह छूट दो साल पहले एक नीति बनाकर दी गई है। लेकिन कंपनी को न तो लीज रेंट देना पड़ रहा है, न प्रीमियम। जबकि यह रियायत अन्य कंपनियों को नहीं है।
इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है, कि अकेले भोपाल में 200 टावर सरकारी जमीन पर लगाए। इनमें 15 टावर तो पुलिस थानों में लगे। इससे ही रिलांयस को लगभग ढ़ाई करोड़ रूपए की बचत मासिक है। क्योंकि शहर में एक टावर का मासिक किराया 8 से 10 हजार रु. है। रिलायंस के 200 टावर हैं। ये निजी जमीन पर लगते तो करीब 2 करोड़ 40 लाख रुपए सालाना चुकाने पड़ते।