चंडीगढ़, 27 जनवरी (आईएएनएस)। पंजाब के एक पूर्व पुलिस अधिकारी को 2015 के फरीदकोट में बेहबल कलां पुलिस गोलीबारी मामले में रविवार को गिरफ्तार किया गया है। इस गोलीबारी में दो लोग मारे गए थे।
चरणजीत सिंह शर्मा को पंजाब पुलिस के एक विशेष जांच दल (एसआईटी) ने होशियारपुर में उनके आवास से करीब 150 किलोमीटर दूर यहां गिरफ्तार किया।
एसआईटी सूत्रों ने कहा कि शर्मा ने शुरू में गिरफ्तारी का थोड़ा विरोध किया, लेकिन टीम उन्हें अमृतसर ले जाने में सफल रही, जहां उनसे पूछताछ की जा रही है।
एसआईटी के प्रभारी, पुलिस महानिरीक्षक(आईजी) कुंवर विजय प्रताप सिंह ने कहा, “मैं गिरफ्तारी की पुष्टि कर सकता हूं। होशियारपुर में उनके निवास से आज उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। हम उनसे पूछताछ कर रहे हैं। हम फिलहाल इस बारे में अधिक जानकारी नहीं दे सकते।”
उन्होंने कहा कि शर्मा को बाद में रविवार को अदालत में पेश किया जाएगा।
आईजी ने कहा, “हमारे पास रिपोर्ट थी कि शर्मा देश से भागने की योजना बना रहे थे।”
गिरफ्तारी के बाद पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को शर्मा और तीन अन्य पुलिस अधिकारियों द्वारा मामले में अभियोजन पक्ष से सुरक्षा की मांग को खारिज कर दिया।
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को शर्मा और तीन अन्य पुलिस अधिकारियों द्वारा मामले में अभियोग से सुरक्षा की मांग को लेकर दाखिल याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद यह गिरफ्तारी हुई है।
गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की बार-बार होने वाली घटनाओं के खिलाफ सिख कार्यकताओं द्वारा एक विरोध प्रदर्शन के दौरान जब यह घटना हुई थी, उस समय शर्मा मोगा जिले में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) थे।
न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रणजीत सिंह जांच आयोग की सिफारिशों के बाद उन पर और अन्य पुलिस अधिकारियों -बिक्रमजीत सिंह (तत्कालीन एसएसपी फाजिल्का), इंस्पेक्टर प्रदीप सिंह और सब-इंस्पेक्टर अमरजीत सिंह पर हत्या और हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया गया था।
शर्मा को निलंबित कर दिया गया और बाद में अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर दिया गया।
अक्टूबर 2015 में पंजाब में कट्टरपंथी सिखों और अन्य के द्वारा राजमार्गो और सड़कों को जाम कर देने के साथ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे।
विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व करने वाले कट्टरपंथी सिख नेता ध्यान सिंह मंड ने रविवार को कहा कि गिरफ्तारी उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की दिशा में पहला कदम है, जिन्होंने उस समय पंजाब में शिरोमणि अकाली दल-भारतीय जनता पार्टी सरकार के कार्यकाल के दौरान हुई बेअदबी की घटनाओं पर लीपापोती करने की कोशिश की थी। ।
पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता व आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि गिरफ्तारी एक अच्छा कदम है, लेकिन राज्य में कांग्रेस सरकार द्वारा इस प्रक्रिया में देरी की गई।