न्यूयार्क, 24 मार्च (आईएएनएस)। जल संकट पर एक ताजा अध्ययन में चेतावनी देने वाली बात सामने आई है। अध्ययन के अनुसार यदि आबादी में इसी गति से वृद्धि होती रही और वर्तमान दर से ही जल का उपभोग होता रहा तो पूरी दुनिया में 2050 तक जल की मांग आपूर्ति से अधिक हो जाएगी।
अनुसंधानकर्ताओं ने भविष्य के आंकड़ों का पता लगाने के लिए ‘डिलेड फीडबैक मैथमेटिकल मॉडल’ का इस्तेमाल किया।
शोध पत्रिका ‘वायर्स वाटर’ के ताजा अंक में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, 1980 से प्रति व्यक्ति जल उपभोग में लगातार गिरावट आ रही है, जिसका मुख्य कारण उन्नत तकनीक और जल संरक्षण के प्रति लोगों में जागरूकता है।
मुख्य अनुसंधानकर्ता एवं ड्यूक विश्वविद्यालय के प्राध्यापक एंथनी पारोलारी ने कहा, “यदि आबादी की वृद्धि दर इसी तरह बनी रहती है तो प्रति व्यक्ति जल के उपभोग में तीव्र कमी करनी होगी ताकि मांग की पूर्ति के लिए पर्याप्त जल उपलब्ध हो।”
पूरी दुनिया की आबादी 2050 तक 9.6 अरब तक पहुंचने की उम्मीद है, जो आज की सात अरब आबादी से बहुत अधिक है।
पारोलारी ने कहा, “अब से जन्म लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति को हम कितना अतिरिक्त जल आपूर्ति कर पाएंगे? इस अध्ययन से पता चलता है कि तब उन्नत तकनीक और कुशलता भी कारगर नहीं रह जाएगी और जल संकट के कारण या तो जनसंख्या वृद्धि प्रभावित होगी या हमें जल के नए स्रोतों की तलाश करनी होगी।”
अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि जल की लगातार बढ़ रही मांग के साथ-साथ जल से जुड़ी नई प्रौद्योकियों का भी विकास हो रहा है, जिसके कारण यह संकट उतना गंभीर नहीं प्रतीत होता।