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 46 प्रतिशत किसान ऋण के बोझ से दबे : राधा मोहन | dharmpath.com

Monday , 5 May 2025

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46 प्रतिशत किसान ऋण के बोझ से दबे : राधा मोहन

कोटा, 28 अगस्त (आईएएनएस)। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि केंद्र सरकार किसानों को जरूरत के मुताबिक, समयबद्ध तरीके से ऋण मुहैया कराने के लिए तेजी से काम कर रही है। उन्होंने कहा कि नाबार्ड किसानों एवं उत्पादकों का समूह बनाकर उन्हें बैंकों से सस्ते कृषि ऋण मुहैया कराता है।

सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) के सर्वे के अनुसार, 46 प्रतिशत किसान परिवार ऋण के बोझ से दबे हुए हैं और ये ऋण विभिन्न संस्थाओं और गैर संस्थानों से लिए गए हैं।

कृषि मंत्री ने शनिवार को कोटा कर्मचारी सहकारी समिति लिमिटेड के 96वें वार्षिक अधिवेशन में कहा कि जनवरी 2016 तक देश भर में 14.43 लाख संयुक्त दायित्व समूह बनाए गए और मार्च 2016 तक नाबार्ड ने लगभग 2424 उत्पादक संगठन स्थापित किए। सिंह ने कहा कि अप्रैल 2005 से मार्च 2014 तक नौ वर्षो में 6775 करोड़ रुपये की संचित उपलब्धियों की तुलना में हमारी सरकार ने अप्रैल 2014 से दिसंबर 2015 तक 7084 करोड़ की राशि की वित्तीय सहायता संयुक्त समूहों को दी।

सिंह ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों को कृषि ऋण की उपलब्धता में काफी असंतुलन है और छोटे-बड़े किसानों को मिलने वाले कृषि ऋण में भी असमानता है। उन्होंने माना कि इस क्षेत्र में प्रति व्यक्ति ऋण उपलब्धता अन्य क्षेत्रों की तुलना में काफी कम है।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने सहकारी समितियों के पुनरुद्धार के लिए ठोस उपाय किए हैं, ताकि वे आर्थिक रूप से व्यवहारिक हों और उनके सदस्यों की सक्रिय सहभागिता से उन्हें गतिशील लोकतांत्रिक संगठन बनाया जा सके।

सिंह ने कहा कि ऐसा करके सहकारिता समितियां प्रतिस्पर्धी वैश्विक अर्थव्यवस्था का सामना कर सकेंगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था और कृषि में रोजगार के मौके बढ़ाने में सहकारी समितियों की अहम भूमिका है।

उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर सहकारिता के जरिए किसानों एवं युवाओं को रोजगार से जोड़ा जा रहा है, साथ ही स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम हो रहा है।

कृषिमंत्री ने कहा कि एनसीडीसी सहकारी समितियों को कई तरह की आर्थिक मदद देती है, ताकि वे जरूरतमंदों के लिए रोजगार सृजित कर सकें।

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