निषाद ने अखिलेश यादव के आठवें मंत्रिमंडल विस्तार व पुनर्गठन पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जो समाज से जुड़ा हुआ सामाजिक मंत्री था, उसे बर्खास्त कर दिया गया और माफिया सिंडीकेट चलाने वाले गायत्री प्रसाद प्रजापति को मंत्रिमंडल में वापस ले लिया गया। यह आश्चर्यजनक है।
उन्होंने कहा कि सपा ने अपनी जड़ कमजोर करने के लिए लक्ष्मीकांत पप्पू निषाद को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया, जिसके कारण निषाद, कश्यप समाज सपा से काफी नाराज है और विधानसभा चुनाव में निषाद समाज सपा से इसका बदला लेगा।
उन्होंने कहा कि अतिपिछड़ों मंे सबसे अधिक 10.25 प्रतिशत आबादी रखने वाले निषाद समाज को सपा हर स्तर पर उपेक्षित व अपमानित कर रही है। विधानसभा चुनाव 2012 में सपा ने सरकार बनने के 72 घंटे के अंदर 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा दिलाने का वायदा किया था परंतु इन्हें अनुसूचित जाति का दर्जा दिलाना तो दूर इनके परंपरागत पेशों को छीन कर बेकारी व भुखमरी की स्थिति में पहुंचा दिया।
निषाद ने सपा को निषाद समाज की सबसे बड़ी विरोधी पार्टी बताते हुए कहा कि अब सपा किसानों, पिछड़ों की पार्टी नहीं पूंजीपतियों, माफियाओं व भ्रष्टाचारियों की पार्टी बन गई है। विधानसभा चुनाव 2017 मंे अतिपिछड़ी जातियां सपा को नंबर 3 पर लाने के लिए पूरा मन बना चुकी हैं।