चेन्नई, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)। तमिलनाडु के राजनीतिक दलों ने कावेरी प्रबंधन बोर्ड के गठन को लेकर सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय में रुख बदलने पर भाजपानीत केंद्र सरकार का विरोध किया।
केंद्र सरकार ने सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि कावेरी प्रबंधन बोर्ड के गठन के लिए अदालत के पास केंद्र सरकार को निर्देश देने का अधिकार नहीं है। यह कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण की अनुशंसा है, जो सरकार पर बाध्यकारी नहीं है।
गत 30 दिसंबर को केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत से कहा था कि कावेरी प्रबंधन बोर्ड के गठन में उसे कोई आपत्ति नहीं है।
महान्यायवादी मुकुल रोहतगी ने शीर्ष अदालत की पीठ से सोमवार को कहा कि कावेरी प्रबंधन बोर्ड के लिए हामी भर कर उन्होंने एक भूल की थी।
केंद्र सरकार के रुख परिवर्तन की निंदा करते हुए द्रमुक के अध्यक्ष करुणानिधि ने एक बयान जारी कर कहा कि कर्नाटक विधानसभा के आगामी चुनाव के मद्देनजर मोदी सरकार ने अपना रुख बदला है।
करुणानिधि ने कहा कि केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का अपमान किया है और वह तमिलनाडु के लोगों के खिलाफ है।
उन्होंने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तमिलनाडु सरकार से सर्वदलीय बैठक और विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का अनुरोध किया।
पीएमके के संस्थापक एस. रामदास ने केंद्र सरकार के नए रुख की निंदा करते हुए एक बयान जारी कर कहा कि यह उस तमिलनाडु के लिए भारतीय राजनीतिक व्यवस्था का एक अभिशाप है जो कि पिछले एक दशक से बोर्ड के गठन के लिए संघर्ष कर रहा है।
रामदास ने कहा कि कावेरी प्रबंधन बोर्ड के गठन के लिए संसद की मंजूरी लेने वाला केंद्र सरकार का तर्क अस्वीकार्य और विचित्र भी है।
उन्होंने कहा कि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड के गठन के समय इस तरह की कोई मंजूरी (संसद से) नहीं ली गई थी।
रामदास ने भी इस मुद्दे पर चर्चा के लिए राज्य में सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की।
एमडीएमके के वाइको ने भी इस मुद्दे पर केंद्र सरकार के रुख का विरोध किया।