अनिल सिंह (भोपाल)– आपको यह जान कर आश्चर्य होगा की मध्यप्रदेश कोटे से राज्यसभा सांसद,भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष छठ – पूजन मानते तो हैं लेकिन अपने जन्म-स्थान को त्यागने के बाद यहाँ छठ मना रहे बिहारियों से मिलने-जुलने और उनके बीच जाने से परहेज करते हैं,हां उनका सपना अवश्य है कि अपने पैतृक गाँव में वे छठ पूजा करें परन्तु राजनीतिक व्यस्तता उन्हें यह समय नहीं देती है।
प्रभात झा मूलतः बिहार के मिथिला प्रांत से आते हैं और आज भी विश्व कि सर्वाधिक मधुर भाषा मैथली में अपने स्वजनों से बतियाते पाये जाते हैं वो भी ज्यादातर दूरभाष पर ही।
झा जी ने पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत के मध्य अचानक ही इस घटना का जिक्र कर दिया,उन्होंने बताया कि दूरदर्शन पर ही वे छठ-पूजा को देख कर छठ मैय्या को प्रणाम कर लेते हैं।
मैथली ब्राम्हणों के परंपरागत भोजन मछली,भात,दही और रसगुल्ला कि चर्चा छेड़ने पर वे विषयांतर करते नजर आये। गौर मतलब यह है कि शायद प्रभात जी राजनीति के नशे में इतना अधिक डूब गए हैं कि वे अपनी परंपरा और अपनी सामजिक संघटना को ही भूलना चाहते हैं,वे शायद भूल गए हैं कि जो अपने मूल से जुदा हुआ उसे कहीं भी जगह नहीं मिलती।
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