नई दिल्ली,10 दिसंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बच्चों के विकास एवं सुरक्षा के प्रति समाज के नैतिक दायित्व को याद दिलाते हुए यहां शनिवार को कहा कि राष्ट्रीय नीति निर्माण में बच्चों के लिए योजनाओं और काम को अहम स्थान देना होगा।
नई दिल्ली,10 दिसंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बच्चों के विकास एवं सुरक्षा के प्रति समाज के नैतिक दायित्व को याद दिलाते हुए यहां शनिवार को कहा कि राष्ट्रीय नीति निर्माण में बच्चों के लिए योजनाओं और काम को अहम स्थान देना होगा।
मुखर्जी राष्ट्रपति भवन में आयोजित पहले ‘लॉरिएट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रेन समिट’ के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य और गरीबी के संकेतकों में असमानता को खत्म करना होगा। इसके साथ ही उन्होंने शिक्षा को असमानता के खिलाफ लड़ाई का सबसे मजबूत हथियार बताया।
उन्होंने कहा कि बच्चों को स्कूल में डराने-धमकाने से लेकर, यौन उत्पीड़न, बाल विवाह और तस्करी तक की समस्याओं से कष्ट भोगना पड़ता है।
उन्होंने कहा, “ये अब भी कुपोषण के शिकार हैं और रोके जा सकने वाली बीमारियों से मर रहे हैं।”
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ) के अनुसार, 80 बच्चों की मौत दक्षिण एशिया और अफ्रीका के सहारा रेगिस्तान के दक्षिणी इलाके के अफ्रीकी क्षेत्र में होती है। यह क्षेत्र सशस्त्र संघर्ष, हिंसा और बगावत से त्रस्त है और बच्चे सर्वाधिक प्रभावित हैं। शरणार्थियों के बीच ऐसे बहुत सारे बच्चे हैं जिनका भविष्य अनिश्चित है।
राष्ट्रपति ने कहा, “हमलोगों की साझा जिम्मेदारी है कि गैर बराबरी को कम करें जो सुविधा से वंचित बच्चों को नुकसान करता है। शिक्षा, स्वास्थ्य और गरीबी के संकेतकों में असमानता को खत्म करना होगा।”
मुखर्जी ने कहा कि जो मुद्दे इस तरह के सुविधाहीन बच्चों की प्रगति को बाधित कर रहे हैं, उन्होंने हटाना होगा।
इस कार्यक्रम का आयोजन नोबेल पुरस्कार विजेता और बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने किया है। इस सम्मेलन में तिब्बत के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा, मोरक्को की प्रिंसेज चार्लीन, जार्डन के प्रिंस अली बिन अल हुसैन, नीदरलैंड्स की प्रिंसेज लॉरेंनटाइन सहित कई मशहूर हस्तियां शामिल हो रही हैं।
इस दो दिवसीय सम्मेलन के आयोजन का मकसद बच्चों को हिंसा से रक्षा के लिए और एक ऐसी दुनिया मुहैया कराने का एक मजबूत नैतिक मंच तैयार करना है, जिसमें बच्चे मुक्त होकर सही तरह से रह सकें।