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 गोमती की गंदगी देख भड़के योगी | dharmpath.com

Tuesday , 6 May 2025

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गोमती की गंदगी देख भड़के योगी

लगभग 1500 करोड़ रुपये लागत की इस परियोजना के सापेक्ष 1433 करोड़ रुपये कार्यदाई संस्था को मिल चुके हैं, जिसके सापेक्ष करीब 1427 करोड़ रुपये खर्च भी हो चुके हैं। अब विभाग द्वारा इस परियोजना को पूरा करने के लिए लगभग 1500 करोड़ रुपये अतिरिक्त उपलब्ध कराने की मांग की जा रही है।

मुख्यमंत्री ने परियोजना की प्रगति एवं इसकी उपादेयता के प्रति असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसी परियोजनाओं का वास्तविक उद्देश्य नदी के पानी को स्वच्छ करना एवं नगर के उन गंदे नालों को बंद करना होना चाहिए था, जो गोमती नदी में गिर रहे हैं।

उन्होंने गोमती नदी को गंगा की सहायक नदी बताते हुए कहा, “इस परियोजना को ‘नमामि गंगे’ परियोजना से जोड़कर नदी में गिरने वाले सभी गन्दे पानी के नालों को बंद करने की दिशा में काम किया जाना चाहिए था, जिससे नदी की अविरलता बनाए रखने एवं पानी को शुद्ध करने में मदद मिलती, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।”

योगी ने कहा, “परियोजना को पूरी तरह संस्था/ठेकेदार पर छोड़ दिया गया, जिससे उन लोगों ने पहले परियोजना के अनुपयोगी मदों पर धनराशि खर्च किया। जबकि गंदे नालांे को टैप करने के लिए दोनों तरफ बनाए जा रहे इंटर सेप्टिक ड्रेन का काम अधूरा छोड़ दिया।”

योगी ने निर्देश दिया, “सबसे पहले गंदे नालों को नदी में गिरने से रोकने के लिए निर्माणाधीन सेप्टिक ड्रेन का काम मई तक पूरा कराया जाए। इसके साथ ही, दोनों तरफ बन रहे डाइफ्राम वॉल को कलाकोठी तक बढ़ाया जाए।”

उन्होंने मुख्य सचिव को निर्देशित किया कि परियोजना से संबंधित प्रमुख सचिव अपने स्तर पर एक सप्ताह में समीक्षा करते हुए इस पर आने वाले वास्तविक व्यय के संबंध में अपना अभिमत प्रस्तुत करें।

इसी प्रकार अन्य विभागों के प्रमुख सचिव भी अपने-अपने विभागों से संबंधित विभिन्न संचालित परियोजनाओं की एक सप्ताह में समीक्षा करके अनावश्यक व्यय को तत्काल रोकने का काम करें। साथ ही, यह भी सुनिश्चित करें कि परियोजना को निर्धारित समय में गुणवत्ता के साथ पूरा किया जाए, ताकि जनता को इनका लाभ मिल सके।

मुख्यमंत्री ने कहा, “वर्तमान राज्य सरकार परियोजनाओं में हो रहे भ्रष्टाचार को हरहाल में बंद करने के लिए दृढ़संकल्पित है। किसी भी कीमत पर जनता की गाढ़ी कमाई को लूटने की इजाजत नहीं दी जा सकती। इसके साथ ही, परियोजनाओं की उपयोगिता पर भी ध्यान दिया जाए, जिससे वास्तव में प्रदेश की जनता को लाभ मिले।”

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) की सख्ती के बावजूद प्रदेश में गंदे नालों को नदियों में गिरने की दिशा में बहुत कम काम किया गया है।

ज्ञातव्य है कि इस परियोजना को पूरा करने के लिए अभी जल निगम को करीब 750 करोड़ रुपये भरवारा स्थित एसटीपी की क्षमता बढ़ाने एवं इंटर सेप्टिक ड्रेनों को भरवारा तक ले जाने के लिए आवश्यकता पड़ेगी। जबकि सिंचाई विभाग ने परियोजना को पूरा करने के लिए 900 करोड़ रुपये की अतिरिक्त धनराशि की जरूरत पर बल दिया है।

गोमती रिवर फ्रंट परियोजना का लोकार्पण 16 नवंबर, 2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किया था। परियोजना अभी भी अधूरी है। अखिलेश ने अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट के लिए करीब 1500 करोड़ रुपये का भारी भरकम बजट बनाया था। अब तक इस पर करीब 900 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। गोमती रिवर फ्रंट परियोजना के तहत गोमती नदी के दोनों किनारों का सौंदर्यीकरण हुआ है। नदी किनारे जॉगिंग ट्रैक, साइकल ट्रैक और बच्चों के पार्क बनाए गए हैं।

बच्चों के लिए डिज्नी ड्रीम शो, टॉरनेडो फाउंटेंस, वॉटर थिएटर बनाए गए हैं। इसके अलावा योग केंद्र, विवाह भवन और ओपन थिएटर का भी निर्माण किया गया है। गोमती के किनारे क्रिकेट और फुटबॉल स्टेडियम भी बनाए गए हैं। स्टेडियम का नाम टेनिस खिलाड़ी गौस मोहम्मद के नाम पर है।

इस मौके पर उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा, राज्य सरकार के मंत्री सुरेश खन्ना, आशुतोष टंडन, रीता बहुगुणा जोशी, बृजेश पाठक, धर्मपाल सिंह, स्वाती सिंह सहित अन्य जनप्रतिनिधि, मुख्य सचिव राहुल भटनागर, प्रमुख सचिव सूचना नवनीत सहगल तथा अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

गोमती की गंदगी देख भड़के योगी Reviewed by on . लगभग 1500 करोड़ रुपये लागत की इस परियोजना के सापेक्ष 1433 करोड़ रुपये कार्यदाई संस्था को मिल चुके हैं, जिसके सापेक्ष करीब 1427 करोड़ रुपये खर्च भी हो चुके हैं। लगभग 1500 करोड़ रुपये लागत की इस परियोजना के सापेक्ष 1433 करोड़ रुपये कार्यदाई संस्था को मिल चुके हैं, जिसके सापेक्ष करीब 1427 करोड़ रुपये खर्च भी हो चुके हैं। Rating:
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