Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/load.php on line 926

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826
 फसल बचाने के लिए ‘प्रकाश प्रपंच’ | dharmpath.com

Friday , 2 May 2025

Home » पर्यावरण » फसल बचाने के लिए ‘प्रकाश प्रपंच’

फसल बचाने के लिए ‘प्रकाश प्रपंच’

imagesरायपुर, 14 सितंबर- फसलों को कीड़ों से बचाने के लिए ‘प्रकाश प्रपंच’ यानी लाइट ट्रेप तकनीक का इस्तेमाल उपयोगी साबित हो रहा है। छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में किसान इस तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। कृषि वैज्ञानिकों ने इस तकनीक का उपयोग कर फसलों के लिए हानिकारक कीड़ों पर नियंत्रण के लिए सभी किसानों को इसका उपयोग करने की सलाह दी है। कृषि वैज्ञानिकों ने बदली और उमस भरे इस मौसम में फसलों की लगातार निगरानी करने की सलाह भी किसानों को दी है। उन्होंने कहा कि इस मौसम में कीट प्रकोप होने की आशंका रहती है। प्रकाश प्रपंच विधि से कीट के प्रकोप को प्रारंभिक अवस्था में ही नियंत्रित कर लिया जाए तो फसलों को नुकसान कम होता है।

कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि फसलों में कीट प्रकोप होने पर खेतों में लाइट ट्रेप का उपयोग शाम सात बजे से रात नौ बजे तक करना चाहिए। लाइट ट्रेप में सौ या दो सौ वाट का बल्ब लगा रहता है। बल्ब की रोशनी से फसलों को हानि पहुचाने वाले कीड़े आकर्षित होकर आते हैं। लाइट ट्रेप में नीचे की ओर एक डब्बा लगा रहता है। इस डब्बे के नीचे कपड़ा बंधा होता है। कीड़े गिर-गिर कर इसी कपड़े में इकट्ठा होकर नष्ट हो जाते हैं।

उन्होंने बताया कि लाइप ट्रेप उपकरण बिजली से चलता है। आजकल सोलर लाइट ट्रेप उपकरण भी आ गया है। अधिकारियों ने बताया कि लाइट ट्रेप जिला मुख्यालयों में कृषि विभाग के उप संचालकों द्वारा किसानों को उपलब्ध कराया जाता है। इसमें प्रदेश सरकार की ओर से अनुदान भी मिलता है।

कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि सितंबर माह में प्राय: धान फसल में तना छेदक, भूरा माहो तथा गंगई कीटों के प्रकोप के लिए अनुकूल मौसम रहता है। इसको ध्यान में रखते हुए किसानों को गंभीरतापूर्वक लगातार फसलों की निगरानी करने की सलाह दी गई है।

कृभको इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य प्रबंधक पवन कुमार शर्मा ने बताया कि कीट प्रकोप आर्थिक हानि स्तर से अधिक होने की स्थिति में मौसम खुलते ही संबंधित ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों से संपर्क कर उनकी सलाह के अनुसार, कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करना चाहिए।

उन्होंने बताया कि तना छेदक कीट के लिए काबोर्फुरान 33 किलोग्राम या फटेर्रा 10 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना उचित होगा। दवाई छिड़कने के बाद धान के खेत से दो-तीन दिनों तक पानी निकालें।

उन्होंने बताया कि जहां पर धान की फसल बालियां निकलने की अवस्था में है, वहां नेत्रजन की अंतिम मात्रा का छिड़काव किया जाना चाहिए, जिससे कंसे की स्थिति सुधरेगी। इस अवस्था में धान में कीट या खरपतवार होने की स्थिति में दोनों के नियंत्रण के बाद यूरिया डालना चाहिए।

शर्मा ने बताया कि धान फसल में पत्ती मोड़क कीड़े एक पौधे में एक से अधिक दिखाई देने पर क्लोरोप्यरीफोस एक लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से पांच लीटर पानी में मिलाकर छिड़कना चाहिए। सोयाबीन की फसलों में पत्तियों को काटने वाले कीड़े दिखें तो प्रोफेनोफास और सायपरमेथरिन (पोलेट्रिन सी) 1.25 लीटर या स्पाइनोसेड 250 मिलीलीटर प्रति हेक्टेयर की दर से साफ मौसम में छिड़काव करें।

फसल बचाने के लिए ‘प्रकाश प्रपंच’ Reviewed by on . रायपुर, 14 सितंबर- फसलों को कीड़ों से बचाने के लिए 'प्रकाश प्रपंच' यानी लाइट ट्रेप तकनीक का इस्तेमाल उपयोगी साबित हो रहा है। छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में किसान इस रायपुर, 14 सितंबर- फसलों को कीड़ों से बचाने के लिए 'प्रकाश प्रपंच' यानी लाइट ट्रेप तकनीक का इस्तेमाल उपयोगी साबित हो रहा है। छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में किसान इस Rating:
scroll to top