नई दिल्ली, 2 सितम्बर (आईएएनएस)। अपने पहले ही एशियाई खेलों में कंपाउंड टीम स्पर्धा का रजत पदक जीतने वाले भारत के युवा तीरंदाज अमन सैनी ने कहा है कि देश के लिए पदक जीतने का उन्हें गर्व है। सैनी ने यह भी कहा कि यह पदक सोनीपत के साई सेंटर में एक विदेशी कोच के साथ की गई 10 दिन की कड़ी मेहनत का फल है।
नई दिल्ली, 2 सितम्बर (आईएएनएस)। अपने पहले ही एशियाई खेलों में कंपाउंड टीम स्पर्धा का रजत पदक जीतने वाले भारत के युवा तीरंदाज अमन सैनी ने कहा है कि देश के लिए पदक जीतने का उन्हें गर्व है। सैनी ने यह भी कहा कि यह पदक सोनीपत के साई सेंटर में एक विदेशी कोच के साथ की गई 10 दिन की कड़ी मेहनत का फल है।
21 साल के अमन ने इंडोनेशिया के जकार्ता में 18वें एशियाई खेलों में रजत चौहान और अभिषेक वर्मा के साथ मिलकर कंपाउंड टीम स्पर्धा का रजत पदक जीता। भारतीय टीम फाइनल में 229-229 से बराबरी रहने के बाद शूट-ऑफ में दक्षिण कोरिया से हार गई थी और उसे रजत पदक से संतोष करना पड़ा था।
दिल्ली के रहने वाले अमन ने इंडोनेशिया से लौटने के बाद आईएएनएस से बातचीत में कहा, “पूरे टूर्नामेंट के दौरान हमारा प्रदर्शन काफी अच्छा रहा, लेकिन फाइनल में जीत से वंचित रहना निजी तौर पर मेरे लिए निराशाजनक था। हालांकि मुझे गर्व है कि हम खाली हाथ नहीं लौटे और देश के लिए पदक लेकर आए।”
उन्होंने कहा, “स्वर्ण जीतने की बात ही अलग है। लेकिन हम खुश हैं कि हमने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया और रजत पदक जीता। आप लोगों ने देखा होगा कि हमने फाइनल में भी कोरिया को कड़ी टक्कर दी और स्कोर बराबरी पर रखा। हालांकि शूट आफ में हम थोड़ा पीछे रह गए। लेकिन मैं अपने प्रदर्शन से संतुष्ट हूं।”
अमन इससे पहले टाक्वांडो के खिलाड़ी थे और वह अपने स्कूल की तरफ से राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में हिस्सा लेते थे। लेकिन 2008 में कोच संजय सिंह उन्हें तीरंदाजी में लेकर आए और उन्होंने इसमें हिस्सा लेना शुरू कर दिया।
यह पूछे जाने पर कि क्या यह पदक 2008 से अब तक मेहनत का नतीजा है, अमन ने कहा, ” 2008 से ही मैं तीरंदाजी करता आ रहा हूं। लेकिन एशियाई खेलों के लिए हमने सोनीपत के भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) सेंट के कैंप में विदेशी कोच सर्जियो पॉजनी ने हमें केवल 10 दिन का ही अभ्यास कराया था। मुझे लगता है कि इसी मेहनत के कारण हम फाइनल तक पहुंचे।”
भारतीय तीरंदाज ने कहा, ” उन्होंने (सर्जियो) ने कैंप के दौरान हमें काफी कुछ नई-नई चीजें सिखाई। उन्होंने प्रत्येक खिलाड़ी की खासियत बताई और उनकी ताकत परखा। इससे हमें काफी फायदा हुआ।”
ओलम्पिक खेलों में कंपाउंड स्पर्धा न होकर रिकवरी स्पर्धाएं होती है और इसे लेकर आप क्या सोचते हैं, उन्होंने कहा, “हमें इसका हर बार खामियाजा उठाना पड़ता है कि ओलम्पिक में कंपाउंड स्पर्धा न होकर रिकवरी स्पर्धाएं होती है। ओलम्पिक में हम पदक नहीं जीत पाते हैं क्योंकि वहां कंपाउंड स्पर्धा नहीं होती है। लेकिन इसके अलावा जितने भी टूर्नामेंट होते हैं, हमने उन सब में पदक जीता है।”
अमन ने अपने अगले लक्ष्य को लेकर कहा, ” ओलम्पिक में हम हैं नहीं, इसलिए हमारा अगला लक्ष्य अब विश्व चैम्पियनशिप है। विश्व चैम्पियनशिप अगले साल फिनलैंड में होनी है और हमें उसके लिए तैयारी करनी है।”
युवा तीरंदाज ने कहा कि यह पदक वह अपने घर वाले, परिवार वाले और उन सब लोगों को समर्पित करते हैं जिन्होंने उनके लिए जीतने की दुआ की थी।
यह पूछने पर कि पदक जीतने के बाद क्या दिल्ली सरकार ने उनके लिए किसी तरह के इनाम की घोषणा की है, अमन ने कहा, “घोषणा तो हुई है लेकिन आपको पता है कि सरकार का काम कैसा होता है। हम तो तभी विश्वास करेंगे जब सरकार अपने वादे को निभाएगी।”
उन्होंने कहा, ” सरकार ने इनाम की घोषणा तो की है लेकिन कितना की है, यह मुझे सही मायनों में पता नहीं है। सरकार ने रजत पदक जीतने वालों के लिए इनाम की राशि बढ़ाकर 75 लाख रुपये किया है, लेकिन देखते हैं मुझे कितना मिलता है।”