शिमला, 22 मार्च (आईएएनएस)। हिमालय के पश्चिमी हिस्से में फैली पर्वत श्रंखला हिंदू कुश के गर्म होने और इसके तेजी से पतन के संकेत मिल रहे हैं। यह बात रविवार को अंतर्राष्ट्रीय जल विशेषज्ञों ने कही।
उन्होंने प्रभावी बाढ़ प्रबंधन की वकालत की, जिसमें जल की धारा के विपरीत और प्रवाह की दिशा के बीच सूचना एवं आंकड़े को न सिर्फ देशभर में बल्कि सीमा पार स्तर पर भी साझा किए जाने की जरूरत है।
काठमांडू स्थित इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलमेंट (आईसीआईएमओडी) में जल विशेषज्ञ संतोष नेपाल और अरुण बी.श्रेष्ठ ने कहा, “उपग्रह सूचना आधारित प्रौद्योगिकी नवाचार आधारभूत आंकड़ों के साथ ऐसी सूचना में बदल सकता है जो कि जनजीवन और संपत्तियों को बचाने में कारगर साबित हो सकता है।”
हिंदू कुश हिमालय क्षेत्र पर सिंचाई, भोजन, पन बिजली, स्वच्छता और उद्योग के साथ-साथ कई पारिस्थितिक सेवाएं निर्भर करती हैं।
इस साल विश्व जल दिवस रविवार को मनाया जा रहा है और संयुक्त राष्ट्र की थीम ‘वाटर एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट’ है।
‘द हिमालयन वाटर्स : कॉम्पलेक्स चैलैंजेज एंड रिजनल सॉल्यूशंस’ में विशेषज्ञ कहते हैं कि हिंदू कुश क्षेत्र वाले देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि महत्वपूर्ण योगदान देता है।
नेपाल की जीडीपी में इसका योगदान 35 फीसदी है। सिंधु नदी से 1,44,900 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई की व्यवस्था है, जहां गंगा का बेसिन 1,5,300 हेक्टेयर जमीन को सिंचाई का जल उपलब्ध कराता है।
विशेषज्ञ कहते हैं कि ‘कोशी बाढ़ परिदृश्य’ का विकास आईसीआईएमओडी और नेपाल एवं भारत की मदद से किया जा रहा है।
वह कहते हैं कि इस जानकारी का इस्तेमाल हिंदू कुश क्षेत्र में बड़े स्तर पर किया जा सकता है।
नेपाल के सिंधुपालचौक जिले में अगस्त 2014 में हुए भूस्खलन से सनकोशी नदी कई दिनों तक के लिए अवरुद्ध हो गई थी, जिससे भारत में भी जनजीवन संबंधी चिंता उत्पन्न हो गई थी।
बाढ़ परिदृश्य महत्वपूर्ण सूचना देने में सहायक है। ऐसे उदाहरण यह दिखाते हैं कि क्षेत्रीय सहयोग के कारण आपदा रोकने में मदद मिल सकती है।