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 लोहिया ने इंसानियत के हर पहलू को छुआ (जयंती : 23 मार्च पर विशेष) | dharmpath.com

Sunday , 25 May 2025

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लोहिया ने इंसानियत के हर पहलू को छुआ (जयंती : 23 मार्च पर विशेष)

लखनऊ, 22 मार्च (आईएएनएस/आईपीएन)। इंसानियत के हर पहलू पर व्यापक सोच के धनी डॉ. राम मनोहर लोहिया अपने जीवनकाल में जो कहा करते थे, वह सब धीरे-धीरे सामने आ रहा है। आत्मविश्वास से लबरेज डॉ. लोहिया कहा करते थे, “लोग मेरी बातें सुनेंगे जरूर.. शायद मेरे मरने के बाद, मगर सुनेंगे जरूर।”

लखनऊ, 22 मार्च (आईएएनएस/आईपीएन)। इंसानियत के हर पहलू पर व्यापक सोच के धनी डॉ. राम मनोहर लोहिया अपने जीवनकाल में जो कहा करते थे, वह सब धीरे-धीरे सामने आ रहा है। आत्मविश्वास से लबरेज डॉ. लोहिया कहा करते थे, “लोग मेरी बातें सुनेंगे जरूर.. शायद मेरे मरने के बाद, मगर सुनेंगे जरूर।”

विश्व के राजनीतिक क्षितिज पर ध्रुवतारा बन चमके डॉ. राम मनोहर लोहिया का जन्म अविभाजित स्वरूप वाले उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिले के अकबरपुर कस्बे में हुआ था। उन्होंने न केवल देश में, बल्कि विश्व स्तर पर गैरबराबरी और भेदभाव के खिलाफ आंदोलन किया।

उस समय लंदन, अमेरिका सहित कई देशों में काले-गोरे का भेद था। अनेक सार्वजनिक प्रतिष्ठानों में काले लोगों के प्रवेश, राजनीति में काले लोगों की भागीदारी पर प्रतिबंध था। डॉ. लोहिया ने इस गैर बराबरी और मानव-मानव में भेद के खिलाफ विदेशों में अनेक बार सत्याग्रह किया। लोगों को झकझोरा, नतीजतन यह भेदभाव खत्म हुआ।

डॉ. लोहिया की सीख व देश के भविष्य के प्रति चिंता के बाबत उस समय के एक शायर ने लिखा था, ‘आग जंगल में लगी थी सात दरियाओं के पार और शहरों में कोई फिरता है घबराया हुआ।”

वर्ष 1960 के दशक में ही डॉ. लोहिया ने देश की भावी समस्याओं को बखूबी समझ लिया था। इसीलिए वह कहा करते थे- गरीबी हटाओ, दाम बांधों, हिमालय बचाओ, नदियां साफ करो, पिछड़ों को विशेष अवसर दो, बेटियों की शिक्षा व विकास का समुचित प्रबंध हो, गरीबों के इलाज का इंतजाम हो, किसानों को उपज का लाभकारी मूल्य मिले, खेती और उद्योग में समन्वय बनाकर विकास का एजेंडा तय हो, गरीबी के पाताल और अमीरी के आकाश का फासला कम करने के जतन हों।

डॉ. लोहिया कहा करते थे कि धर्म अल्पकालिक राजनीति है और राजनीति दीर्घकालीन धर्म। धर्म का काम है मानवीय संबंधों में अच्छाई स्थापित करे और राजनीति का काम है बुराई से लड़े। धर्म जब स्तुति तक सीमित हो जाता है, मानवीय संबंधों में अच्छाई नहीं स्थापित करता तो निष्प्राण हो जाता है और राजनीति जब बुराई से लड़ती नहीं तो कलही हो जाता है।

उनकी इस सीख को बीते कालखंड की सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों का विश्लेषण कर भलीभांति समझा जा सकता है।

वह कहा करते थे कि हिंदुस्तान के सामाजिक परिवेश में हिंदू और मुसलमान के बीच उभरी दरार को सियासत करने वाले खाई बनाने में लगे हैं यह दुखद है। इस खाई के सहारे राजनीति की रोटी तो सेंकी जा सकती है, पर इंसानियत के जख्म नहीं भरे जा सकते।

डॉ. लोहिया कहा करते थे, “मेरा बस चले तो हर हिंदू को समझाऊं कि रजिया, रसखान और जायसी मुसलमान नहीं, बल्कि हमारे-आपके पुरखे थे। ठीक इसी के साथ मुसलमानों को भी समझाऊं कि गजनी, गोरी और बाबर उनके पुरखे नहीं, बल्कि हमलावर थे।”

डॉ.लोहिया मानव रूप में ऐसे पारस थे कि जो उनके संपर्क में आया, वह गुण और ज्ञान पाकर हीरा बन चमका। उस जमाने के समाजवादी आंदोलन से जुड़े वे लोग जो डॉ. लोहिया की सरपरस्ती में आगे बढ़े, कालांतर में तारा बन चमके।

कई ऐसे मौके भी आए जब डॉ. लोहिया ने लोकसभा में सरकार की घोषणा को चुनौती दी। बाद में सच वही निकला जो डॉ. साहब ने कहा और सरकार ने लोकसभा में क्षमा मांगा। तीन आना बनाम पंद्रह आना की बहस काफी चर्चित हुई थी।

(लेखक लोकतंत्र सेनानी और स्वतंत्र पत्रकार हैं)

लोहिया ने इंसानियत के हर पहलू को छुआ (जयंती : 23 मार्च पर विशेष) Reviewed by on . लखनऊ, 22 मार्च (आईएएनएस/आईपीएन)। इंसानियत के हर पहलू पर व्यापक सोच के धनी डॉ. राम मनोहर लोहिया अपने जीवनकाल में जो कहा करते थे, वह सब धीरे-धीरे सामने आ रहा है। लखनऊ, 22 मार्च (आईएएनएस/आईपीएन)। इंसानियत के हर पहलू पर व्यापक सोच के धनी डॉ. राम मनोहर लोहिया अपने जीवनकाल में जो कहा करते थे, वह सब धीरे-धीरे सामने आ रहा है। Rating:
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