नई दिल्ली, 10 मई (आईएएनएस)। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक राज्यसभा में पेश किए जाने के लिए तैयार है, वहीं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस इसे सदन की प्रवर समिति को भेजने पर अड़ी हुई है।
नई दिल्ली, 10 मई (आईएएनएस)। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक राज्यसभा में पेश किए जाने के लिए तैयार है, वहीं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस इसे सदन की प्रवर समिति को भेजने पर अड़ी हुई है।
लोकसभा में विधेयक पारित होने के दौरान कांग्रेस ने सदन से बर्हिगमन किया था और वह पहले विधेयक की समीक्षा चाहती है।
कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने आईएएनएस से कहा, “हम जीएसटी को और जांच के लिए भेजना चाहते हैं।”
शुक्ला ने कहा, “यह संविधान संशोधन विधेयक है और इसे गंभीरता से लिए जाने की जरूरत है। अन्यथा हमें विधेयक से और कोई समस्या नहीं है। पहले समिति इसे देख ले, तब इसे मानसून सत्र में पारित कराया जा सकता है।”
लेकिन, वामदलों के अलावा कोई भी पार्टी कांग्रेस के समर्थन में नहीं आई है।
समाजवादी पार्टी के नेता नरेश अग्रवाल ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार इस पर सहमति जता चुकी है, लिहाजा पार्टी इसके समर्थन में है।
अग्रवाल ने आईएएनएस से कहा, “हमारी राज्य सरकार विधेयक पर राजी है, इसलिए हम इसका विरोध नहीं करेंगे।”
तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रायन ने कहा कि उनकी पार्टी प्रवर समिति में भेजे जाने का विरोध कर रही है, क्योंकि इससे विधेयक में देरी होगी।
ओब्रायन ने आईएएनएस से कहा, “जीएसटी राज्यों के हितों की सुरक्षा करेगा।”
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता सीताराम येचुरी ने हालांकि, कहा कि पार्टी को विधेयक से कोई परेशानी नहीं होगी, अगर इसे प्रवर समिति को भेज दिया जाए।
येचुरी ने आईएएनएस से कहा, “संविधान संशोधन विधेयक को समझने में और समय की जरूरत है।”
जहां तक संख्या बल की बात है, भाजपा राज्यसभा में अल्पमत में है, जिसके सिर्फ 47 सदस्य हैं। इसके सहयोगियों के साथ इसकी संख्या 63 हो जाएगी।
कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 68 है और सहयोगियों के साथ यह 70 है।
सरकार को यह विधेयक पारित कराने के लिए दो-तिहाई बहुमत चाहिए। साथ ही कम से कम सदन के आधे सदस्य मौजूद हों।
विपक्षी पार्टियों में टीएमसी, बीजद और जनता परिवार के सपा, जद(यू) और राजद विधेयक के पक्ष में है, जिससे यह संख्या मिलाकर 112 हो जाती है।
सदन में सदस्यों की संख्या 245 है, जिसमें सरकार को पक्ष में 164 सदस्यों की जरूत होगी।
सरकार के सूत्रों के अनुसार, विपक्षी पार्टियों के साथ अनौपचारिक बातचीत जारी है और कोई विकल्प न होने पर इसे प्रवर समिति के पास भेजा जाएगा।
एक मंत्री ने आईएएनएस को नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया, “हमें विधेयक के लिए दो-तिहाई बहुमत की जरूरत होगी, देखते हैं किस तरह समर्थन मिलता है।”
उन्होंने कहा कि कांग्रेस अनावश्यक रूप से मुद्दे को राजनीतिक रंग दे रही है।
मंत्री ने कहा, “वे कह रहे हैं कि यह उनका विधेयक है, तब क्यों विरोध कर रहे हैं? वे सिर्फ सरकार के सुधार को बाधित करने की कोशिश कर रहे हैं।”
जीएसटी का मुख्य उद्देश्य कर व्यवस्था को एकीकृत करना है, जिसमें केंद्र तथा राज्य सरकारों द्वारा लिए जाने वाले अप्रत्यक्ष करों जैसे उत्पाद शुल्क, सेवा कर, मूल्यवर्धित कर, बिक्री कर और ऑक्ट्रॉय को एक किया जाएगा।