नई दिल्ली, 23 जून (आईएएनएस)। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सरकारी अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों की मांगें मान चुके हैं, फिर हड़ताल खत्म नहीं की गई। दिल्ली सरकार ने मंगलवार को हड़ताली डॉक्टरों पर आवश्यक सेवा प्रतिरक्षण अधिनियम (एस्मा) लागू कर दिया।
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने दिल्ली विधानसभा परिसर में पत्रकारों से कहा, “हड़ताल करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ एस्मा लागू कर दिया गया है। हम दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में रोगियों को मरने नहीं दे सकते। हमने उनकी मांगें मान ली हैं, इसके बावजूद हड़ताल के कारण मरीजों को लगातार परेशानी झेलनी पड़ रही है।”
उन्होंने कहा, “अब डॉक्टरों का कहना है कि वे चाहते हैं कि केंद्र सरकार और दिल्ली नगर निगम भी उनकी मांगें मान लें।”
केंद्र सरकार और दिल्ली नगर निगम पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) काबिज है। दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने मांगें मान ली हैं, लेकिन रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल को लंबा खींचना चाहते हैं, जबकि राष्ट्रीय राजधानी में इलाज कराने देशभर के राज्यों से मरीज आते हैं।
मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है कि आपात चिकित्सा सेवाएं इतनी बुरी तरह प्रभावित हुई हैं और मरीजों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी है।
उन्होंने कहा, “मैंने सोमवार को कई अस्पतालों का दौरा किया और पाया कि हड़ताल के कारण आपात चिकित्सा सेवाएं बुरी तरह बाधित हैं। यह अस्वीकार्य है।”
स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी बताया कि उप-राज्यपाल नजीब जंग ने दिल्ली पुलिस को दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में सभी अहम जगहों पर पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने के आदेश दे दिए हैं। हड़ताली डॉक्टरों की मांगों में से एक पर्याप्त सुरक्षा थी।
इससे पहले दिल्ली सरकार ने डॉक्टरों को काम पर लौटने, वरना कार्रवाई के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी थी, मगर डॉक्टरों ने फेडरेशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्र्ट्स एसोसिएशन (फोर्डा) के आह्वान पर काम पर लौटने से इनकार कर दिया।
उनका कहना है कि जब तक मांगें लागू नहीं हो जातीं, वे काम पर नहीं लौटेंगे। फोर्डा दिल्ली के 25 सरकारी अस्पतालों का एक संगठन है।
वरिष्ठ रेजिडेंट डॉक्टर और फोर्डा सदस्य प्रदीप कुमार ने आईएएनएस से कहा, “सरकार ने हमें कार्रवाई की चेतावनी दी है, इसके बावजूद फिलहाल यह हड़ताल खत्म नहीं होने वाली। हमें पूर्व में भी आश्वासन दिए गए थे, लेकिन एक भी मांग पूरी नहीं हुई। अब हम सभी मांगें लागू देखना चाहते हैं।”
उन्होंने कहा, “अगर सरकार 20,000 रेजिडेंट डॉक्टरों को निलंबित कर सकती है, तो करे। सरकार को रेजिडेंट डॉक्टरों की अनुपस्थिति से होने वाली दुश्वारियां समझनी चाहिए।”
हड़ताल खत्म न करने की वजह बताते हुए प्रदीप कुमार ने कहा, “फोर्डा में दिल्ली के सरकारी अस्पतालों, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन आने वाले दो अस्पतालों और नगर निगम के अधीन आने वाले अस्पतालों के सदस्य शामिल हैं। इसलिए समस्या का समाधान अकेले दिल्ली सरकार नहीं निकाल सकती, बल्कि इस पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और नगर निगम को भी ध्यान देना होगा।”
प्रदीप कुमार ने कहा, “केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और दिल्ली सरकार इससे पहले हमें सारी मांगें पूरी करने का आश्वासन दे चुकी हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।”
उल्लेखनीय है कि दिल्ली के 25 सरकारी अस्पतालों के 20 हजार से अधिक रेजिडेंट डॉक्टर सोमवार को जीवनरक्षक दवा की उपलब्धता, कार्यस्थल पर सुरक्षा, काम के घंटे तय करने और समय पर वेतन देने की मांग को लेकर बेमियादी हड़ताल पर चले गए हैं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी मामले पर ट्वीट कर कह चुके हैं कि “डॉक्टरों की अधिकांश मांगें जायज हैं। मैंने स्वास्थ्य विभाग को सारी मांगें पूरी करने का निर्देश दे दिया है। विभाग जल्द ही सारी समस्याओं को सुलझा लेगा।”
उन्होंने कहा कि सरकार को एस्मा लागू करने पर मजबूर होना पड़ा, क्योंकि इससे मरीजों को काफी मुसीबत झेलनी पड़ रही है।
एस्मा लागू करने के बाद केजरीवाल ने ट्वीट किया, “यदि वे अभी भी काम पर नहीं लौट रहे तो हमारे पास जनहित में सख्त कदम उठाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।”