कोलंबो, 18 अगस्त (आईएएनएस)। श्रीलंका में सत्तारूढ़ युनाइटेड नेशनल फ्रंट (यूएनएफ) ने संसदीय चुनाव में जीत दर्ज की है। 225 सदस्यीय संसद में पार्टी ने 106 सीटें जीती हैं।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, मंगलवार को आए अंतिम नतीजों में रानिल विक्रमसिंघे के नेतृत्व वाले यूएनएफ को जीत तो मिली है, लेकिन पूर्ण बहुमत से सात सीटें कम मिली हैं।
लेकिन, माना जा रहा है कि विपक्षी श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) के सांसद यूएनएफ को समर्थन देंगे और इसे बहुमत मिल जाएगा।
ये सांसद अभी तक पूर्व राष्ट्रपति और मौजूदा चुनाव में पराजित युनाइटेड पीपुल्स फ्रीडम अलायंस (यूपीएफए) के नेता महिंदा राजपक्षे के समर्थक माने जाते थे।
विपक्षी मोर्चा यूपीएफए को महज 93 सीटें मिली हैं।
तमिलों की मुख्य पार्टी तमिल नेशनल अलायंस (टीएन) ने 14 सीटें जीती हैं। मार्क्सवादी दल जनता विमुक्ति पेरामुना ने चार सीट जीती हैं।
श्रीलंका मुस्लिम कांग्रेस और ईलम पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी को एक-एक सीट मिली है।
यूएनएफ को देश के 22 में से 11 जिलों में जीत मिली है। यूपीएफए को आठ और टीएनए ने तीन जिलों में सफलता पाई है।
यूएनएफ के हिस्से में 45.66 फीसदी और यूपीएफए के हिस्से में 42.38 फीसदी वोट आए हैं।
मंगलवार को सभी नतीजों की घोषणा होने से पहले ही यूएनएफ नेता महिंदा राजपक्षे ने अपनी हार स्वीकार कर ली थी।
राजपक्षे ने कहा, “प्रधानमंत्री बनने का मेरा सपना चूर हो गया। मैं स्वीकार करता हूं कि हम एक अच्छी लड़ाई हार गए हैं।”
यूएनएफ नेता रानिल विक्रमसिंघे ने कहा है कि वह विपक्षी दलों और अल्पसंख्यक पार्टियों के साथ मिलकर राष्ट्रीय सरकार बनाएंगे।
विक्रमसिंघे ने नतीजों का रुझान साफ होने के बाद कहा, “आइए हम मिलकर एक सभ्य समाज बनाएं, एक सहमति की सरकार का गठन करें और एक ऐसा नया राष्ट्र बनाएं जहां सभी के लिए समान अवसर उपलब्ध हों।”
विक्रमसिंघे ने लोगों से विजेता और पराजित के रूप में नहीं बंटने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि सभी लोग एक परिवार की तरह मिलकर काम करे, ताकि श्रीलंका को विकास के पथ पर आगे ले जाया जा सके और देश में एक नई राजनीतिक संस्कृति की शुरुआत हो सके।
इस चुनाव की खास बात यह रही कि यूएनपी को 14 सालों में पहली बार गमपाहा सीट पर जीत हासिल हुई है, जो जनता के रुझान में आए बड़े बदलाव का स्पष्ट संकेत है।
यूएनपी नेता जॉन अमरतुंगा ने गमपाहा संसदीय सीट जीतने के बाद कहा, “हम अपना वादा पूरा करना चाहते हैं और देश का विकास करना चाहते हैं।”
यूपीएफए ने अधिकांश सिंहली बहुल इलाकों में जीत हासिल की है, जिनमें राजपक्षे परिवार का गढ़ हंबनटोटा भी शामिल है।
मतगणना के नतीजों से पता चलता है कि यूएनएफ ने उन जिलों में भी इस दफा अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर राजनीति का कायापलट कर दिया है, जहां जनवरी में हुए राष्ट्रपति चुनाव में राजपक्षे की स्थिति मजबूत थी।