नई दिल्ली, 30 अगस्त (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि उनकी सरकार भूमि अधिग्रहण अध्यादेश फिर से जारी नहीं करेगी। यह अध्यादेश सोमवार को अप्रभावी हो जाएगा।
अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में मोदी ने कहा, “हमने अध्यादेश जारी किया था, जो कल (31 अगस्त) अप्रभावी हो जाएगा। मैंने फैसला किया है कि इसे खत्म हो जाने दिया जाए। हम इसे फिर से जारी नहीं करेंगे।”
उन्होंने कहा, “इसका मतलब यह हुआ कि (भूमि अधिग्रहण मामले में) अब स्थिति वही हो गई है, जो मेरी सरकार से पहले थी।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि भूमि अधिग्रहण के लिए 13 बिंदुओं (कानूनों) पर मामला अटका हुआ था। ये पहले के कानून में नहीं थे। हम कानूनी आदेश के जरिए इन 13 बिंदुओं को तत्काल प्रभाव से लागू कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “अध्यादेश खत्म हो रहा है, लेकिन इन 13 बिंदुओं (कानूनों) को नियम के तहत लाया जा रहा है, ताकि जिन किसानों की जमीन ली गई है, उन्हें नुकसान न हो।”
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस बारे में सरकार द्वारा जारी कानूनी आदेश यह तय करेगा कि राष्ट्रीय राजमार्ग कानून 1956 जैसे 13 कानूनों के तहत ली गई भूमि के लिए किसानों को ऊंची दर से मुआवजा मिले।
कांग्रेस नेतृत्व वाली संप्रग सरकार के 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून के दायरे में ये 13 कानून नहीं आते थे। लेकिन अब राजग सरकार ने इन्हें इसका हिस्सा बना दिया है।
मोदी सरकार ने अपना नया भूमि अधिग्रहण विधेयक बनाया था, जो संसद में पास होकर कानून नहीं बन सका। इस दौरान सरकार को तीन बार भूमि अध्यादेश लाना पड़ा।
मोदी ने कहा, “किसानों के हित के लिए सरकार कुछ भी करने के लिए तैयार है।”
उन्होंने कहा, “भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में बदलाव के लिए प्रस्ताव तो राज्यों की तरफ से आए थे। सभी को लगा था कि किसानों को अगर फायदा पहुंचाना है, गांव में नहर-सड़क बनानी है, घर बनाने हैं तो कानून को नौकरशाही के चंगुल से निकालना होगा। इसके बाद ही कानून में बदलाव का प्रस्ताव रखा गया था।”
मोदी ने कहा, “लेकिन तरह-तरह की अफवाहें फैला दी गईं। किसानों को डरा दिया गया। मेरे प्यारे किसान भाइयों और बहनों, डरिये मत। मेरे लिए राष्ट्र में सभी की बात महत्वपूर्ण है। किसानों की आवाज का तो खास स्थान है। संदेह की कोई वजह नहीं है। डरिये मत।”