नई दिल्ली, 14 अक्टूबर (आईएएनएस)। मंत्रिमंडल की एक समिति ने बुधवार को ऊर्वरक कंपनियों के 2014-15 के बकाया सब्सिडी भुगतान के लिए 7000 करोड़ रुपये के विशेष ऋण पर मुहर लगा दी।
इस फैसले को ऊर्वरक उद्योग जगत के लिए बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है।
एक आधिकारिक बयान में बताया गया है, “मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने 7000 करोड़ रुपये के कर्ज के लिए एक विशेष बैंकिंग व्यवस्था (एसबीए) को मंजूरी दी है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब नेशनल बैंक की अगुआई में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का समूह इसका हिस्सा है। इसके तहत ऊर्वरक कंपनियों को 2014-15 के बकाया यूरिया सब्सिडी का भुगतान किया जाएगा।”
बयान में कहा गया है, “धन की समस्या से जूझ रही ऊर्वरक कंपनियों के लिए इसे पहले ही लागू कर दिया गया है। एसबीए के तहत सरकार ने सब्सिडी बिलों के भुगतान के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के दो समूहों के साथ मिलकर 6806.66 करोड़ रुपये का इंतजाम किया है।”
ऊर्वरक कंपनियों को 30,000 करोड़ रुपये की बकाया सब्सिडी मिलनी है। फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफआईए) उत्पादकों को समय पर सब्सिडी के भुगतान और वितरण प्रक्रिया के सरलीकरण के लिए आग्रह करता रहा है।
एफआईए के महासचिव सतीश चंद्र ने संवाददाताओं से कहा था, “बकाया सब्सिडी 30,000 करोड़ रुपये की है। कुछ भुगतान तो 2008 से आज तक लंबित पड़े हुए हैं। इसकी वजह से इस क्षेत्र के उद्योगों की उत्पादकता पर असर पड़ रहा है।”
सतीश ने यह भी कहा था कि ऊर्वरक सब्सिडी ऊर्वरक कंपनियों के जरिए दिए जाने के बजाए सीधे किसानों को दिया जाना चाहिए।
केंद्र सरकार ने यूरिया की कीमत 5,360 रुपये प्रति टन तय की है। इसके उत्पादन में आई लागत और इसके खुदरा मूल्य के बीच के अंतर को उत्पादकों को बतौर सब्सिडी दिया जाता है।