पूर्णिया, 18 दिसम्बर (आईएएनएस)। बिहार के पूर्णिया के सुदूर गांव चनका निवासी और हिन्दी सोशल मीडिया में सक्रिय गिरीन्द्र नाथ झा की पहली पुस्तक ‘इश्क में माटी सोना’ की चर्चा इन दिनों खूब हो रही है। इस पुस्तक की कहानियां पूरी तरह से ग्रामीण परिवेश में पनपने वाले प्रेम पर आधारित हैं। इस पुस्तक की कहानियों में गांव से लेकर शहर तक के प्रेमी युगलों का चित्रण किया गया है।
पूर्णिया, 18 दिसम्बर (आईएएनएस)। बिहार के पूर्णिया के सुदूर गांव चनका निवासी और हिन्दी सोशल मीडिया में सक्रिय गिरीन्द्र नाथ झा की पहली पुस्तक ‘इश्क में माटी सोना’ की चर्चा इन दिनों खूब हो रही है। इस पुस्तक की कहानियां पूरी तरह से ग्रामीण परिवेश में पनपने वाले प्रेम पर आधारित हैं। इस पुस्तक की कहानियों में गांव से लेकर शहर तक के प्रेमी युगलों का चित्रण किया गया है।
‘इश्क में माटी सोना’ का लोकार्पण हाल ही में पटना पुस्तक मेले में किया गया। प्रतिष्ठित प्रकाशन समूह राजकमल प्रकाशन द्वारा आए लघु प्रेम कहानियों के इस संग्रह पर इन दिनों खूब चर्चा हो रही है।
पूर्णिया के चनका निवासी गिरीन्द्र की कहानियां पूरी तरह से ग्रामीण परिवेश में पनपने वाले प्रेम पर आधारित हैं। ग्रामीण आंचलिकता को ओढ़े प्रेमी युगलों के शहरी और महानगरीय जीवन पर आधारित इन कहानियों में कहीं कबिराहा मठों की चर्चा है तो कहीं फैशन और साहित्य के बीच मीठा विरोधाभास भी दिखता है।
दिल्ली और कानपुर में पत्रकारिता करने के बाद पिछले तीन सालों से खेती कर रहे गिरीन्द्र अब अपनी किताब को लेकर चर्चा में हैं।
हाल ही में गिरीन्द्र को दिल्ली सरकार द्वारा हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ ब्लॉगर-2015 का खिताब भी मिल चुका है। बिहार के कोसी अंचल के बड़े साहित्यकारों सतीनाथ भादुड़ी, फणीश्वरनाथ रेणु, मायानंद मिश्र और साकेतानंद के बाद राजकमल प्रकाशन द्वारा गिरीन्द्र की किताब प्रकाशित की गई है।
पूर्णिया से 12वीं तक की पढ़ाई कर गिरीन्द्र ने दिल्ली विश्वविद्यालय का रुख किया। वहां अर्थशास्त्र की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने सीएसडीएस-सराय की फैलोशिप के तहत प्रवासियों के बीच काम किया।
गिरीन्द्र कहते हैं, “जब एक बार कहानियों के लिखने का दौर प्रारंभ हुआ तो लगातार लिखते चला गया। इस दौरान फेसबुक पर नए और पुराने दोनों पाठक वर्गो और सोशल मीडिया पर सक्रिय साहित्यकारों द्वारा इसे खूब सराहा गया। इसी सराहना और लेखन की गुणवत्ता को देखते हुए राजकमल प्रकाशन ने इन कहानियों को पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने का निर्णय लिया।”
सोशल मीडिया से शुरू हुए इस लेखन में कई नवोदित और पुराने लेखकों ने खूब रुचि ली और लिखा। इस बीच राजकमल प्रकाशन ने इन सैकड़ों लप्रेक (लोकप्रिय प्रेम कथा) लेखकों के बीच से तीन लेखकों टीवी पत्रकार रवीश कुमार, मीडिया आलोचक और दिल्ली विश्वविद्यालय में प्राध्यापक विनीत कुमार और पूर्णिया के ब्लॉगर गिरीन्द्र नाथ को चिह्न्ति किया था।
इस सीरीज की पहली किताब रवीश की ‘इश्क में शहर होना’ है, जिसे लोगों ने खूब सराहा है। दूसरे नंबर पर गिरीन्द्र की पुस्तक ‘इश्क में माटी सोना’ अब पाठकों के बीच है। विनीत कुमार की पुस्तक के नाम (इश्क कोई न्यूज नहीं) की घोषणा हो चुकी है। सूत्रों के मुताबिक, इसका लोकार्पण वर्ष के शुरुआत में दिल्ली में होना है।
लप्रेक सीरीज की किताबों की खासियत चित्रांकन है। चित्रांकन का काम विक्रम नायक ने किया है। वे शहर और गांव दोनों को अपने रेखाचित्रों के जरिये उकेर देते हैं।
गिरीन्द्र की कहानियों में रेणु और भादुड़ी की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए बहुतायत में हिन्दी के आंचलिक शब्दों को शामिल किया गया है।