भारत और चीन ने लद्दाख में 20 दिन तक बने रहे टकराव की स्थिति के समाप्त होने का ऐलान भले ही कर दिया हो लेकिन हालात अभी सामान्य नहीं हुए हैं।
हाल ही में चीनी सेना ने भारतीय सैन्य गश्ती दल को जबरन रोककर उसे वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) तक नहीं जाने दिया।
यह घटना 17 मई को सिरी जैप नाम से मशहूर फिंगर-8 इलाके के पास हुई। चीन ने फिंगर-4 इलाके तक सड़क बना ली है। यह भारतीय सीमा में एलएसी से पांच किमी अंदर है।
भारतीय गश्ती दल को रोके जाने का वाकया चीनी प्रधानमंत्री ली केचियांग के भारत दौरे से दो दिन पहले का है।
चीनी पीएम के दौरे से पहले दोनों देशों की ओर से घोषणा की गई थी भारतीय सीमा के अंदर 19 किमी तक हुई चीनी सैनिकों की घुसपैठ से उत्पन्न टकराव की स्थिति खत्म हो गई है।
भारत ने दावा किया था कि घुसपैठ करने वाले चीनी सैनिक 15 अप्रैल से पहले वाली जगह पर चले गए हैं। उधमपुर स्थित सेना के प्रवक्ता ने इस घटना पर कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है।
हालांकि सरकारी सूत्रों ने कहा कि फिंगर-8 इलाके में छिटपुट टकराव के हालात बने थे, जहां सेना का गश्ती दल एलएसी तक गए बिना ही लौट आया।
सूत्रों ने बताया कि इस घटना के बाद लद्दाख में तैनात 14 कोर ने अपनी सभी गश्तों पर रोक लगा दी। इसके साथ ही देपसांग भेजे जाने वाले गश्ती दल को भी रोक दिया गया। यह वही इलाका है जहां 15 अप्रैल से करीब तीन हफ्ते तक चीनी सैनिक तंबू गाड़कर बैठे हुए थे।
सूत्रों का कहना है कि चीन ने फिंगर-4 इलाके तक सड़क निर्माण कर लिया है। यह इलाका भी सिरी जैप इलाके के दायरे में आता है और यह भारतीय सीमा में एलएसी से पांच किमी अंदर है।
चीन अपने मैप में इस इलाके को अपने सीमा क्षेत्र में होने का दावा करता है जबकि भारतीय सेना का दावा है कि यह लद्दाख का हिस्सा है।
इस क्षेत्र के बारे में अकसर 1962 के युद्ध का हवाला दिया जाता है जब भारत और चीन की सेनाओं के बीच इस इलाके में भयंकर युद्ध हुआ था।
इस इलाके में चीनी सेना (पीएलए) से लोहा लेने के लिए मेजर धान सिंह थापा को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।